तो नही होंगे यमनोत्री मंदिर के दर्शन?

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इस बार की चार धाम यात्रा पहले पड़ाव यमनोत्री में ही भक्तो की कड़ी परीक्षा लेने वालीं है। एक तरफ चार धाम यात्रा की तैयारी की जा रही है वही यमनोत्री धाम का पैदल मार्ग सहित मुख्य मंदिर कई फ़ीट बर्फ से अभी भी ढका हुआ है। बर्फ हटाने के बाद आपदा से ध्वस्त मंदिर परिसर का पुनर्निर्माण और सुरक्षा दीवार का निर्माण भी होना है। बड़ा सवाल ये है कि क्या निर्माण कार्य होने तक मंदिर के कपाट बंद रहेंगे? मंदिर से जुड़े पंडा समाज ने तो यही चेतावनी दी है।
यमनोत्री धाम में जुलाई 2018 की देवी आपदा के घाव पर मरहम लगाते इससे पूर्व मौसम की मार ने प्रशासन के हाथ पैर बांध कर रख दिये।
चार धाम यात्रा सुरु होने को है और पहले धाम के रूप में विख्यात यमनोत्री धाम अभी भी बर्फवारी से अटा पड़ा है। मुख्य मंदिर परिसर तो बर्फ से ढका ही है किंतु जानकी चट्टी से यमनोत्री पैदल मार्ग  भी कई फ़ीट बर्फ से लकदक है।
चार धाम यात्रा में यमनोत्री की उपेक्षा को लेकर धाम के पुरोहित और पंडा समाज पहले ही नाराजगी जता ही चुके है ।
सचिवालय से लेकर मंत्रियों के चक्कर काटने के बाद भी धरातल पर काम न होने से नाराज मंदिर समिति के सदस्यों ने चेतावनी दी कि केवल पूजा के लिए ही यमनोत्री धाम खोला जाएगा और फिर से बंद कर दिया जाएगा।
यमनोत्री धाम से जुड़े रावल पुरुषोत्तम उनियाल और पवन उनियाल  ने बताया कि आपदा के बाद यमनोत्री धाम में श्रद्धालुओं के खड़े होने तक का स्थान नही बचा है। ऐसे में चार धाम यात्रा कैसे संचालित होगी ? लिहाजा श्रद्धालुओ की जान जोखिम में डालने की बजाय मंदिर के कपाट बंद रखने में ही भलाई है।
इधर उत्तरकाशी के डीएम डॉ आशीष चौहान ने बताया कि मंदिर की सुरक्षा के लिए सिंचाई खंड पुरोला द्वारा टेंडर किये जा चुके है किंतु यमनोत्री पैदल मार्ग भारी बर्फवारी से भरा पड़ा है। विभाग को यात्रा सुरु होने से पूर्व धाम की सुरक्षा के पर्याप्त उपाय करने के निर्देश दे दिए  गए है।
 जनपद उत्तरकाशी के नौगांव विकासखंड में बड़कोट से 51 किलोमीटर की दूरी पर यमुनोत्री धाम स्थित है गत वर्षो की आपदा एवं विशेषकर 17 जुलाई 2018 की आपदा से यमुनोत्री धाम पर भारी नुकसान हुआ था यमुना नदी के बाएं भाग में स्थित परिसर के भवन, टॉयलेट आदि पूर्ण रूप से ध्वस्त हो गए थे और विभिन्न स्थानों पर बोल्डर युक्त मलवा जमा हो गया था, जिससे नदी में जल प्रवाह बढ़ने से मंदिर को भी क्षति की आशंका है।  मंदिर परिसर की सुरक्षा हेतु योजना का गठन किया गया इसके लिए यमुना नदी के किनारे पर 120 मीटर लंबाई में 4 मीटर ऊंची आरसीसी की सुरक्षा दीवार का निर्माण कार्य संपूर्ण लंबाई में किया जाना है।
पूरी लंबाई में 1*1.50  आरसीसी टो वाल का निर्माण।
पूरी लंबाई में 1*1.50 आरसीसी एप्रन निर्माण।
अंदर की तरफ खुली सतह पर सीसी ब्लॉक निर्माण।
शीर्ष भाग में 6 मीटर लंबाई के स्पर निर्माण।
किये जाने है

https://youtu.be/xWHN-Rvbpc0

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