देहरादून। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में उत्तराखंड के नरेन्द्र नगर में मध्य क्षेत्रीय परिषद की 24वीं बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में शाह ने अपने संबोधन में इस बात पर जोर दिया कि ‘कुपोषण को समाप्त करना और स्कूली बच्चों की शून्य ड्रॉपआउट हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।’ इस दौरान मध्य क्षेत्रीय परिषद ने चंद्रयान-3 की शानदार सफलता, जी20 सम्मेलन के सफल आयोजन और संसद द्वारा ऐतिहासिक महिला आरक्षण विधेयक पारित किए जाने का भी स्वागत किया।
लंबे समय से सहकारिता के क्षेत्र में काम करने वाले दिग्गज नेता शाह ने हमेशा सहकारी संघवाद की भावना को मजबूत करने पर बल दिया है। यह देखा गया है कि अमित शाह ने हमेशा समस्याओं का समाधान निकालने, वित्तीय समावेशन बढ़ाने और नीतिगत बदलावों में उत्प्रेरक की भूमिका निभाई है। यही वजह है कि अमृतकाल में शाह की नीतियों के तहत मध्य क्षेत्रीय परिषद के राज्यों ने मोदी जी के टीम इंडिया के कांसेप्ट को जमीन पर उतारने का अभूतपूर्व काम किया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व और केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह के पथ-प्रदर्शन में आज क्षेत्रीय परिषदों की भूमिका सलाहकार से बदलकर एक्शन प्लेटफॉर्म के रूप में कारगर साबित हुई है। पूरा देश जानता है कि मध्य क्षेत्रीय परिषद में शामिल मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ राज्यों का देश के जीडीपी और विकास में बहुत बड़ा योगदान है। मध्य क्षेत्रीय परिषद में शामिल राज्य देश में कृषि, पशुपालन, अनाज उत्पादन, खनन, जलापूर्ति और पर्यटन के प्रमुख केंद्र हैं। शाह का स्पष्ट मानना है कि इन राज्यों के बिना जलापूर्ति की कल्पना ही नहीं की जा सकती है।
दरअसल क्षेत्रीय परिषद की बैठक में राज्यों के हितों और एक-दूसरे के परस्पर सहयोग पर चर्चा होती है। ऐसी बैठकों में राज्यों के बुनियादी ढाँचे को देखते हुए विकास पर व्यापक विमर्श की जाती है। इस बैठक में 5 किलोमीटर के दायरे में हर गाँव तक बैंकिंग सुविधा, देश में 2 लाख नई पैक्स के गठन, रॉयल्टी और खनन संबंधित मुद्दों तथा वामपंथी उग्रवाद-प्रभावित जिलों में बुनियादी सुविधाओं के निर्माण जैसे मुद्दों पर भी विचार-विमर्श किया गया। गौरतलब है कि जहाँ मोदी सरकार के बीते 9 वर्षों में क्षेत्रीय परिषदों की 25 और स्थायी समितियों की 29 बैठकें हुईं हैं वहीं, यूपीए के 10 सालों में क्षेत्रीय परिषदों की 11 और स्थायी समितियों की 14 बैठकें हुईं थीं। बैठक में शाह ने सभी सदस्य राज्यों से आह्वान किया कि, ‘सहकारिता, स्कूली बच्चों की ड्रॉप आउट दर और कुपोषण जैसे मुद्दों पर संवेदनशीलता के साथ प्राथमिकता से काम करना होगा। बच्चों में कुपोषण की समस्या को पूरी संवेदनशीलता के साथ दूर करना हम सबकी जिम्मेदारी है।’