आईएएस और पीसीएस की तर्ज पर अब प्रधान जी को भी प्रीमलरी और मेन परीक्षा से होकर गुजरना होगा। चुनावी मैदान में मुद्दों के सवाल पर जनता की वोट परीक्षा में उतरने से पूर्व प्रधान जिनको हाई स्कूल बोर्ड की परीक्षा में भी पास होना जरूरी हो गया है ।
गिरीश गैरोला
पढोगे लिखोगे बनोगे प्रधान’
उत्तराखण्ड पंचायती राज व्यवस्था में यह कहावत चरितार्थ हो रही है, दरअसल अंगूठाछाप प्रतिनिधियों के साथ व्यवहारिक दिक्कतों के चलते मिनी संसद में ठोस परिणाम नही निकल रहे है जिसके बाद पंचायत चुनाव के लिए कुछ नियम परिवर्तित किये गए जिसमे नुयनतम शिक्षा की जरूरत पर बल दिया गया है।उत्तरकाशी जिले में डुंडा ब्लॉक के पाव गाँव मे प्रधान पद के प्रत्यासी राकेश सिंह राणा द्वारा शैक्षक योग्यता के लिए जो हिंदी साहित्य सम्मेलन इलाहाबाद द्वारा जारी अस्थायी प्रमाणपत्र चुनाव आयोग को दिया गया उस पर दूसरे प्रत्यासी सुरेश सिंह रावत द्वारा आपत्ति जताई गई है।25 सितंबर 19 को जिला निर्वाचन अधिकारों डीएम उत्तरकाशी द्वारा आरओ को और आरओ द्वारा ए आरओ को तत्काल आख्या प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए।26 सितंबर को निर्वाचन अधिकारी डुंडा उत्तरकाशीं द्वारा सुरेश सिंह रावत को पत्र लिखकर इंटरनेट से प्राप्त साक्ष्य/ दस्तावेजों के आधार पर निर्णय लेने से इनकार कर दिया।जिसके बाद सुरेश सिंह रावत ने मुख्य शिक्षा अधिकारी उत्तरकाशी कार्यलय से तत्कालीन अपर शिक्षा निदेशक उत्तराखंड पुष्पा मानस द्वारा जारी अदेशनकी प्रति उपलब्ध कराई है जिसमे बताया गया कि हिंदी साहित्य सम्मेलन उत्तरप्रदेश द्वारा संचालित कोई भी परीक्षा उत्तराखंड में मान्य नही है।
आरओ डुंडा ने बताया कि शनिवार दोपहर तक दूसरे पक्ष को भी अपने साक्ष्य रखने को कहा गया है यदि ई नही आते तो एक तरफा फैसला कर दिया जाएगा।
वही राकेश राणा ने बताया कि वे अब कोई साक्ष्य नही रखने जा रहे है बल्कि चुनाव से अपना नाम वापस लेने जा रहे है।
