उत्तरकाशी में भालू का खौफ: खेत में काम कर रही महिला पर जानलेवा हमला, गांव में दहशत

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🟨 सबहेडिंग

“देवी आपदा के बाद अब जंगली खतरा – अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझ रही कैलाशी देवी”


🟩 ओपनिंग पैराग्राफ (हुक)

उत्तराखंड के पहाड़ एक बार फिर दहशत में हैं। भीषण देवी आपदा से उबर रहे लोग अब जंगली जानवरों के डर में जी रहे हैं। उत्तरकाशी जिले के उपला टकनौर के सालंग गांव में शनिवार सुबह एक भालू ने 38 वर्षीय महिला कैलाशी देवी पर ऐसा हमला किया कि पूरा गांव सन्न रह गया।


🟦 मुख्य कहानी – शॉर्ट, पंची पैराग्राफ्स

🔴 खेत में अचानक हमला
कैलाशी देवी सुबह करीब 10 बजे घर के पास खेत में काम कर रही थीं। अचानक झाड़ियों से निकले भालू ने उन पर हमला कर दिया। सिर पर गंभीर चोटें आईं। ग्रामीणों ने चीख-पुकार मचाकर किसी तरह भालू को भगाया।

🟠 जिंदगी के लिए संघर्ष
गंभीर रूप से घायल कैलाशी देवी को तत्काल जिला अस्पताल पहुंचाया गया। डॉक्टरों के मुताबिक महिला की हालत नाजुक है लेकिन फिलहाल रेफर करना जोखिम भरा हो सकता है। “हम अपनी पूरी कोशिश कर रहे हैं कि उनकी स्थिति को कंट्रोल किया जाए,” प्रभारी सीएमएस डॉ. दानिश ने कहा।

🟡 अस्पताल पर आरोप – संसाधन की कमी
स्थानीय लोगों का आरोप है कि जिला अस्पताल संसाधनों के अभाव में महज रेफर सेंटर बन गया है। हालांकि अस्पताल सूत्रों ने इसे नकारते हुए कहा – “हेली सेवा के फॉर्म भर दिए गए थे, लेकिन डॉक्टरों ने रेफर करना सुरक्षित नहीं समझा।”

🟢 वन विभाग की सक्रियता
वन विभाग के अधिकारी अस्पताल पहुंचे। फॉरेस्ट गार्ड गौतम नेगी और एसडीओ कन्हैया बेलवाल ने पीड़ित परिवार को तात्कालिक राहत दी। “डॉक्टर के सर्टिफिकेट के बाद मुआवजे की प्रक्रिया होगी,” उन्होंने मेरु रैबार न्यूज़ को बताया।

🔵 जंगली खतरे की जड़ – गांव में झाड़ियां और रोशनी की कमी
वन विभाग के सूत्रों का कहना है कि भालू अक्सर मीटिंग टाइम (प्रजनन काल) में ज्यादा आक्रामक होते हैं। गांव के आसपास झाड़ियां होने से उनका खतरा और बढ़ जाता है। “ग्रामीण घरों के पास झाड़ियां न उगने दें और रात में रोशनी रखें,” विभाग ने अपील की।


🟪 कोट्स – भावनात्मक असर

“हम डर के साये में जी रहे हैं… कभी भालू तो कभी सांप, अब सुरक्षा किससे मांगे?” – सालंग गांव की एक महिला

“हम घायल महिला को हर संभव मदद दे रहे हैं, मुआवजा प्रक्रिया भी जल्द शुरू होगी।” – एसडीओ कन्हैया बेलवाल


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