ऐसे दिखते है भगवान, मौत के बिस्तर पर पड़े डब्लू ने बताया:मेरु रैबार

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मौत को लौटाया बैरंग।

ऐसे दिखते है भगवान।
अस्पताल के बेड पर पड़े डब्लू ने सुनाया किस्सा।
गिरीश गैरोला।
लकवाग्रस्त जिस बीमारी का बड़े बड़े नामी गिरामी अस्पतालों में इलाज मुस्किल है वहीं उत्तरकाशी जिला अस्पताल में सीमित सुविधाओ के साथ कुछ लोगो के पॉजिटिव एटीट्यूड से डब्लू की हालत में सुधार दिख रहा है।
उत्तरकाशी बस अड्डे के पास फल की ठेलि लगाकर गुजर बसर करने वाले 47 वर्षीय डब्लू को दो महीने पूर्व लकवे का दौरा पड़ा । डॉ ने बताया कि उसके दिमाग मे ब्लड क्लोटिंग हो गयी है। उत्तरकाशी में न्यूरो सर्जन नही होने के चलते मरीज डब्लू को देहरादून रैफर किया गया किंतु उसे लेकर अखिर जाता कौन?
डब्लू ने शादी नही की है माता पिता स्वर्ग सिधार चुके है, और बीमारी की हालत में उसके पास बैठने को कोई अपना नही है। ऐसे में पोखरियाल बंधुओ की जोड़ी सामने आई और डब्लू की बिस्तर पर पड़े  डब्लू की मौतको टक्कर दे दी।
जिला अस्पताल में डॉ प्रेम पोखरियाल पूरी निष्ठा से डब्लू का इलाज कर रहे है, वही पेशे से मेकैनिक , पर्यावरण विद प्रताप पोखरियल एक बार फिर से मरीज के सेवा में हाजिर हुए । दिन में चार पांच बार प्रताप पोखरियाल अस्पताल आते है मरीज की गंदगी साफ कर उसके पैड बदलते है, उसके कपड़े बदलते है बिस्तर चेंज करते है। इतना ही नही अपने द्वारा उगाए गए वन से आयुर्वेदिक औषधि अश्वगंधा गिलोय, सात प्रकार की तुलसी का रस भी मरीज को पिला रहे है और फिजियो थेरपी का देसी नुस्खा भी अपना रहे है।
जिला अस्पताल के स्टाफ और प्रताप से मिले अपनापन के बाद डब्लू अब ये नही कहते कि उनका यहाँ कोई नही है बल्कि अब डब्लू बताते है कि भगवान अखिर होते कैसे है कैसे दिखते है क्या करते है।
निस्वार्थ प्रेम की इस गंगा में बहते हुए डब्लू की हालत में उम्मीद से अधिक सुधार हुआ है। डॉ प्रेम ने बताया कि जब अस्पताल में पहली बार आया था तो उसके हाथ पैर काम नही कर रहे थे किंतु अब उसमें हलचल दिखने लगी है जिसे वे प्रताप पोखरियाल की सेवा का जादू करार देते है।
तो देखा आपने जिसका कोई नही होता उसका भगवान होता है और न जाने किस रूप में अपकज मदद को पहुँच जाता है इसलिए अच्छा करे अच्छा सोचे तो सब अच्छा ही होगा।
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