बच्चे जब कामचोर हो गए तो क्या, माँ चुप तो नही बैठेगी।
कूड़ा , गौ, और कुड़े का सेग्रिगेशन
ये मुख्य मुद्दे पहले भी पालिका की बीमारी का इलाज बताए गए थे और अब भी, जीवन देने वाली माता की तरह जगत माता गौ भी नालायक बेटो के चुप बैठने पर खुद आगे तो आएगी ही न। आज सुबह जब ये तस्वीर मेरे सामने आई तो ख्यालो की कलम खुद ब खुद चलने लगी।
अब देख लो न ये गौ माता भी,
नो पार्किंग में खड़ी हो जाएगी, कूड़ा खाएगी और पेट दर्द होने पर डिजिटल एक्स रे के लिए सुबह सुबह दुकान खुलने से पहले लाइन में खड़ी हो जाएगी। ये माता का हाल है अपने नगर में अब गौ माता हो या अपनी माता । दिल पर हाथ रखकर बताना कितना खयाल रखते है हम अपनी जन्म दात्री माता का। अपनी दिन चर्या और दुनिया मे खोये हुए हम उसे उसके हाल पर छोड़कर बहुत दिन तक खुस नही रह सकते।
गौ भक्तो की भी अपने शहर में कोई कमी नही गौ सागर का वर्णन भी अक्सर कथा प्रवचन में होता ही रहता है। सवाल ये है कि एक ही मुहल्ले में दर्जन भर गली के कुत्ते आराम से पल जाते है पर गौ नही, सोचता हूं ऐसा क्यों?
शिव नगरी में उत्तरकाशी नगर पालिका ने गोफ़ियारा में सड़क में घूम रही बेसहारा गौ के लिए गौशाला बनवाई, नगर में घूम रही गौ वंश की पहिचान के लिए जियो टैगिंग की गई और तब बड़े बड़े वादे किए कि अब सड़को पर गाय बेसहारा नही दिखाई देगी।हमे भी तसल्ली हुई कि अब तो गौ के अच्छे दिन आएंगे।
जियो टैगिंग वाला भी अपना बिल भुगतान होकर चलता बना तो गौ शाला में भी गौ नही समा सकी। गौ ग्रास की योजना भी आकार नही ले सकी।
ऐसा नही है कि गौ के लिए लोगो के मन मे इज्जत नही है, घर मे रोज खाना बचता है शब्जी और फलों के छीलके तो कुड़े से बेहतर ही है। हालांकि ये अब बीते दिनों की बात हो गयी कि बने हुए भोजन में पहला ग्रास अग्नि का और दूसरा गौ के लिए पहले ही रख दिया जाता था।
गौ ग्रास अभी भी घरो में पर्याप्त है किंतु वो प्लास्टिक के साथ मिलकर कूड़ा बन रहा है जिसे वर्षो के प्रयास के बाद भी नगर पालिका अलग नही कर सकी
( सेग्रिगेशन) उसे इंसानो की माता (गौ माता ) ने तो उस अन्न की कद्र की जो बेकार यू ही कूड़ा बन रहा है। भोजन माता की चिंता नगर माता ने नही की तो क्या हुआ गौ माता तो कर रही है भले ही इसके लिए उसे बीमार पड़ने पर एक्सरे की लाइन में खड़ा होना पड़े। वर्षो से कुड़े को सेग्रिगेट करने की बात करने वाली पालिका के चुने हुए बोर्ड ने जो कदम नही उठाया उसे गौ माता ने अपने स्वास्थ्य की कीमत पर पहल की हालांकि इस पहल में सुंवर भी कुड़े के ढेर में दिखाई देते है पर उनकी स्थिति ठीक वैसी ही है जैसे देश के कुड़े को साफ करने के लिए झाड़ू उठाये पीएम मोदी के साथ फोटो खींचने के लिए खड़े अन्य नेता और अफसरों की।