पर्यावरण एवं स्वास्थ्य विषय पर मेरठ में आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार में शहरी इलाकों में कूड़ा प्रबंधन में फेल हो रही नगर पालिकाओं पर चिंता की उन्होंने कहा कि जल्द ही इस पर तेजी से काम नहीं किया गया तो आने वाली पीढ़ियों के लिए यह सबसे बड़ा खतरा साबित होगा।
अंकित तिवारी
राष्ट्रीय सेमिनार- पर्यावरण एवं स्वास्थ्य – मेरठ।
चौ0 चरणसिंह विश्वविद्यालय, मेरठ तथा भारत विकास परिषद्, अभिनव शाखा मेरठ के संयुक्त तत्वावधान में ‘पर्यावरण एवं स्वास्थय‘ पर राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन गत दिवस विश्वविद्यालय के बृहस्पति भवन में आयोजित किया गया जिसमें विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 एन.के.टुटेजा मुख्य अतिथि थे व परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा0 सुरेश चन्द गुप्ता ने अध्यक्षता की। कार्यक्रम संयोजक इंजि. बी.डी.शर्मा ने सभी का अभिनन्दन किया तथा आयोजन समिति के अध्यक्ष प्रो0 ए.के.दुबे, कोर्डिनेटर,एन्वायरमैंटल सांइसिज ने आयोजन उद्देशयों पर विभिन्न स्थानों से आए हुए पर्यावरणविदों, विद्यार्थीयों व प्रतिनिधियों को जानकारी दी। इंजि.एस.के.कुमार (चेयरमैन इंडियन वाटर रिर्सोर्सिज सोसायटी, मेरठ क्षेत्र) ने पर्यावरणीय प्रदूषण व स्वास्थय, डा0 एस.के.तंवर, क्षेत्रीय अधिकारी, आयुर्वेद एवं युनानी, उ0प्र0 सरकार ने अथर्व वेद का चिकित्सा विज्ञान से सम्बन्ध विषय पर अपने विचार रखे। भारत विकास परिशद् के राष्ट्रीय मन्त्री पर्यावरण सिरसा निवासी रमेश गोयल ने कचरा प्रबन्धन के अनुरूप स्वच्छता अभियान की सार्थकता पर बोलते हुए कहा कि प्रतिदिन लगभग 1.45 लाख मीट्रिक टन कचरा होता है परन्तु उसके निश्पादन के लिए अभी तक पूर्ण व्यवस्था नहीं है। केवल 34.7 प्रतिषत कचरा ही प्रोसेस हो पा रहा है। यद्यपि कुछ प्लांट निर्माणाधीन हैं परन्तु स्थिति संतोशजनक नहीं है। उन्हांेने बताया कि अगस्त 2018 तक 616 प्लांट कचरा से खाद बनाने पर कार्यरत हैं जबकि हर नगरपालिका क्षेत्र में ऐसे यूनिटों की आवष्यकता है। केवल 7 प्लांट ‘कचरा से ऊर्जा‘ पर कार्यरत हैं । आंकड़ों अनुसार 52 केन्द्रित कम्पोस्ट व 147 अन्य प्लांट निमार्णाधीन हैं। सरकार को कचरा प्रबन्धन पर विशेष ध्यान देना चाहिए अन्यथा स्वच्छता अभियान की सार्थकता बनी रहना असम्भव है। उन्हांेने बताया कि देश भर के 81000 शहरी वार्डों में केवल 41000 वार्डांे में ही कूड़ा एकत्रिकरण व्यवस्था अभी तक हो पाई है। प्रशासनिक अधिकारियों की उदासीनता के कारण ही 7365 करोड़ के बजट में से मात्र 2126 करोड़ की राशि यानि 28 प्रतिशत ही काम में लाई जा सकी है। बनारस हिन्दु विष्वविद्यालय के पर्यावरण विभाग से डा0 कविता शाह ने प्रदूषित पंच तत्वों का स्वास्थय पर प्रभाव विषय पर विस्तार से बताया वहीं उ0प्र0 स्वास्थय एवं परिवार कल्याण की संयुक्त निदेशक डा0 ज्योत्सना ने स्वास्थय के सम्बन्ध में सरकार की योजनाओं की जानकारी दी तथा बाल युवा. महिला, वृद्ध आदि के लिए स्वास्थ्य परक योजनाओं का जनता किस प्रकार लाभ उठाए पर चर्चा की।
मैडिकल कालिज के विभागाध्यक्ष डा0 टंगवीर आर्या ने योग व प्राणायाम का स्वास्थ्य से कैसे सीधा सम्बन्ध है, पर महत्वपूर्ण जानकारियां दी। सुभारती विश्वविद्यालय के डा0 विजय भटनागर, इंजि0 जी.सी. त्रिपाठी सहित अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने विषयों पर चर्चा की। विभिन्न विषयों के मुख्य वक्ताओं, मुख्य अतिथि व कार्यक्रम अध्यक्ष का अंगवस्त्र व चन्दन तिलक से अभिनन्दन किया गया तथा स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया।