हाई कोर्ट – पूर्व मुख्यमंत्रियों को पद छोड़ने के बाद विशिष्ट अधिकार नहीं – आवास भत्ता और अन्य सुविधाओं पर हुआ खर्च वसूलने के आदेश।

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नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्रयिो को झटका देते हुए राज्य सरकार से उनसे आवास भत्ता और अन्य सुविधाओं पर हुआ खर्च वसूलने के आदेश दिए हैं। मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली बेंच ने जनहित याचिका पर लंबे समय तक सुनवाई करने के बाद मंगलवार को अपना फैसला सुनाया।

मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को बाजार दर पर किराया देने के आदेश दिए हैं।न्यायालय ने राज्य सरकार से पूर्व मुख्यमंत्रियों से बाजार दर पर किराया तय कर अन्य सुविधाओं का भुगतान भी वसूलने को कहा है। खण्डपीठ ने 23 मार्च 2020 को मामले में सभी पक्षकारों को सुनने के बाद निर्णय सुरक्षित रख लिया था। याचिकाकर्ता ने न्यायालय को बताया था कि प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकार को किराए व अन्य सुविधाओं के एवज में 2 करोड़ 84 लाख रुपये देना है। इसमें पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक पर 40.95 लाख, मेजर जनरल भुवन चंद्र खंडूड़ी पर 46.59 लाख, विजय बहुगुणा पर 37.50 लाख, भगत सिंह कोश्यारी पर 47.57 लाख तथा एनडी तिवारी पर सर्वाधिक 1.12 करोड़ रुपये है। न्यायालय के आदेश पर पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी की मृत्यु के बाद उन्हें तथा भगत सिंह कोश्यारी के अधिवक्ता द्वारा दिए गए प्रार्थना पत्र के बाद संवैधानिक पद होने के कारण नोटिस आदि से मुक्त किया था। देहरादून की रूलक संस्था ने मामले में जनहित याचिका दायर की थी। संस्था ने प्रदेश सरकार द्वारा उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्रियों को दी जा रही सुविधाओं के संबंध में जारी किए गए नए विधेयक 2019 को चुनौती दी थी। संस्था ने इस एक्ट को संविधान के विरुद्ध बताया था। कहा कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को पद छोड़ने के बाद विशिष्ट अधिकार नहीं दिया जाना चाहिए। उनका कार्यकाल समाप्त होने के बाद से उनसे सरकारी दर से किराया वसूला जाए। हाईकोर्ट की खंडपीठ ने राज्य सरकार द्वारा विधेयक के अनुच्छेद 4ए और इसकी 4सी व अनुच्छेद 7 के तहत की गई व्याख्या को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 के विरुद्ध माना। न्यायालय ने एक्ट के कुछ प्रावधानों को संविधान के अनुच्छेद 202 व 207 के विरुद्ध भी माना।

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