एक देश मे दो कानून।
गंगा नदी और उसमें उपखनिज निकालने की बात हो अथवा फारेस्ट एक्ट की बात, ऊंची रसूख वाले लोग अपनी सुविधा अनुसार कानून की धाराओं में सुराख तलाश ही लेते है । ऐसे में कानून का डर सिर्फ निर्बल असहाय लोगो पर ही चोट करने का माध्यम राह गया है।
डुंडा ब्लॉक के अंतर्गत अस्तल गाँव के पास क्रेसर से जुड़े व्यवसायियों ने नदी तक उतरने के लिए चौकी ढंगार के पास रिज़र्व फारेस्ट की जमीन खोद डाली है।
गंगा भागीरथी में जल स्तर कम होते ही इसमें रेत बजरी और बोल्डर जैसे उप खनिज की निकासी के लिए खनन माफियाओं के ध्यान इस पर लगा रहता है। फारेस्ट एक्ट की बार करे तो बिना लैंड ट्रांसफर किये कोई भी खनन कार्य रिज़र्व फारेस्ट में नही किया जा सकता है। सुत्रो की माने तो वह विभाग की कर्मियों की एक टीम उक्त खनन कार्य को रोकने के लिए तीन दिन पूर्व मौके पर गयी थी इसके बाद भी खनन कार्य लगातार जारी है। सुत्रो की माने तो देर रात तक गंगा भागीरथी के किनारे तक जेसीबी मशीन खनन करते हुए पहुँच सकती है।
इस संबंध में वन विभाग डुंडा रेंज के रेंज अधिकारी बुद्धि सिंह राणा ने स्वीकार किया कि उनकी टीम एक बार मौके पर जा चुकी है तब उन्हें ये बताया गया था कि निजी खेतो पर खनन कार्य किया जा रहा है , यदि फारेस्ट लैंड पर खनन किया गया तो कानूनी कार्यवाही की जाएगी औ इसके लिए वे खुद मौके पर जांच करेंगे।