निर्माण के नींव में दफन होते मजदूर

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ऑल वेदर चार धाम सड़क मार्ग की नींव में दो और मजदूर दफन हो गए, पूर्व में ऐसे ही निर्माण स्थल पर दबे अन्य मजदूरो की तरह ये भी गुमनाम हो जाएंगे और जिंदा लाशों पर श्रम कल्याण योजनाओं का शिलान्यास होता रहेगा।

चंद्र शेखर पैन्यूली

प्रदेश में असंगठित  क्षेत्रों के कामगारों  को पेंशन सहित अन्य सुविधाएं देने का दावा करने वाली केंद्र और राज्य सरकार को निर्माण दाई संस्थाओं में काम के दौरान मरने वाले मजदूरो के आंकड़े पर भी गौर करने की जरूरत है। अशिक्षा और गरीबी के चलते इन मजदूरो को काम के दौरान अथवा घायल या मौत होने पर भी कोई राहत नही मिल पाती है और न ही मजदूरो के मरने के बाद उनके परिजनों पर टूटने वाले पहाड़ की खबर मीडिया की सुर्खियां बन पाती है।

चारधाम परियोजना ऑल वेदर रोड़ के चौड़ीकरण कार्य में ऋषिकेश – चम्बा मार्ग पर  नागणी के पास एक बड़ी दुर्घटना हो गयी , जिसमे बिहार निवासी दो मजदूरों की मलवे में  दबकर मौत हो गयी । दोनों मृतक युवा जिंनके नाम अजय और अमन बताये जा रहे हैं। मृतकों में  एक की उम्र 25 वर्ष और एक की 19 वर्ष बताई जा रही है,ये भयानक हादसा चट्टान टूटने से हुआ जब  उसमे कार्य करने वाले मजदूरों में से दो की दबने से मौत हो गयी।

सूत्रों के मुताबिक ग्रामीणों के बार बार चेताने के बाद भी बीआरओ और कार्य करने वाले ठेकेदार ने लोगों की बातों को नजर अंदाज किया, कार्य करने वाली कम्पनी की मजदूरों के प्रति लापरवाही भी सामने आई है, इस तरह की हृदयविदारक दुर्घटना दुःखद है, कम्पनी को कार्य करने वाले मजदूरों की सुरक्षा को जरूर पुख्ता किया जाना चाहिए था,  ताकि इस तरह की दुर्घटना न हो।

कम्पनी के ठेकेदारों को मजदूरों की हिफाजत हेतु संबंधित विभाग द्वारा दिशा निर्देश नही दिए गए अथवा लापरवाही बरती गई।

इस दुर्घटना के लिए जिम्मेदार लोगों पर जरूर कार्यवाही होनी चाहिए। अकसर ऐसे मामले में गरीब मजदूरों की गरीबी और उनके घर गाव दूर होने के चलते मामले को यू ही रफा दफा कर शांत कर दिया जाता है।

 

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