हरक से ही पड़ेगा फरक, किशोर उपाध्याय

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फिर उठा वनवासी का मुद्दा।

गिरीश गैरोला

राजधानी देहरादून में इंडिया न्यूज के कार्यक्रम मंच में कांग्रेश पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने उत्तराखंड राज्य का विकास मैदानी जिलों तक सीमित होने के लिए वनवासी कानून 2006 को राज्य द्वारा लागू नही होने को जिम्मेदाए बताया।
उन्होंने कहा कि पहाड़ में लोगो का वनों से हक हकूक के लिए एक ऐसा रिश्ता रहा है जिसे अब कानून थोप कर रोक दिया गया है। चारा पत्ती, घर निर्माण, आदि के लिए बंदिशें उन लोगो पर लगाई गई है जो पर्यावरण के पोषक है सिर्फ अपने देश के लिए ही नही पूरे विश्व के लिए भी पर्यावरण की रक्षा कर रहे है। उन्होंने कहा कि उत्तरकाशी जिले के तिलाड़ी में सबसे पहले हक हकूक के लिए उठी आवाज को तत्कालीन टिहरी राजशाही द्वारा गोलीकांड के बाद दबा दिया गया था जो आज तक जारी है।
मंच पर सरकार के काबीना मंत्री हरक सिंह रावत को मुख्यमंत्री का प्रबल दावेदार बताकर किशोर ने एक सुगबुगाहट छेड़ दी । दरअसल पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह के साथ सुर नही मिलने की खबर मीडिया पहले भी  में खूब सुर्खिया बटोर चुके है।
हालांकि पहाड़ी राज्य के विकास के लिए  वन अधिनियम को जिम्मेदार मानते हुए उन्होंने हरक पर कटाक्ष भी किया। उन्होंने कहा कि राज्य के 70 %हिस्से पर काबिज वन महकमे के मंत्री इसके लिए जबाब देय हैं।
डोईवाला के गौरिमाफी में अब तक 22 लोगो को तेंदुए द्वारा मारे जाने पर हरक के जबाब पर किशोर खूब बरसे।
दरअसल बन मंत्री हरक सिंह कैमरे में रिकॉर्ड वीडियो के आधार पर  बताया था कि नशे के हालात में रात के 11 बजे उक्त व्यक्ति को वन विभाग जानवरो से नही बचा सकता था।
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