पंचायत में पहुँचे दो दोस्तों ने लोकतंत्र को नयी परिभाषा दी है , अब तक राजनीति को बुरा शब्द समझने वाली बूढ़ी अनुभवी आंखे भी उनके इस प्रयास को देखते हुए छलछला गयी । प्रधान और उप प्रधान चुने जाने के बाद , पलायन की तैयारी कर चुके सौड़ गाँव के ग्रामीणों को इन्होंने न सिर्फ रुकने के लिए राजी किया बल्कि गाँव मे ही बेहतर जीविका उपार्जन के लिए भी प्रेरित किया, पहली बार इलाके में चुनाव जीत कर पहुँचे प्रधान और उप प्रधान की दोस्ती की कहानी मिसाल बन गयी है।
गिरीश गैरोला
राजनीति में नौजवान पीढ़ी के प्रवेश के साथ ही लोकतंत्र परिपक्व होने लगा है इसकी मिसाल उत्तरकाशी जिले में देखने को मिली जहाँ यमनोत्री विधान सभा अंतर्गत 25-26 साल के युवा दोस्तो की अनूठी पहल से 70 -75 की उम्र पर पहुँच चुके लोग भी बदलते लोकतंत्र को देखते हुए गदगद हो रहे है। मजे की बात ये है कि इन दोनों दोस्तो की दोस्ती इन्हें पंचायत में भी एक साथ ले आयी और एक प्रधान तो दूसरा उप प्रधान बन गया। निर्वाचित होने के बाद से ही दोनों दोस्तो में कुछ हटकर करने की ठानी।

उत्तरकाशी जिले के गमरी पट्टी में ग्राम सभा मरगाँव के अंतर्गत तीन गाँव आते है जिनमे मरगांव, सराली,ओर सोड़ सामिल हैं सराली ओर मरगाँव मे सभी लोग अपने गाँव मे ही जीवन यापन कर रहे है यहाँ से पलायन जीरो है। लेकिन सोड़ गाँव मे 90℅लोग स्थानीय दिक्कतों के चलते पलायन करने की तैयारी में थे।
नवनिर्वाचित प्रधान सुरेंद्र पाल ओर उपप्रधान मुकेश बर्त्वाल द्वारा आज गाँव मे जाकर एक बैठक की गयी जिसमे पलायन कैसे रुके इस संबंध में वहाँ जा कर लोगो से अपील की ।
ग्रामीणों ने बताया कि गाँव मे पानी की किल्लत है, 10 वर्षों से उनकी नहर धरासू चमियारी सड़क मार्ग निर्माण के साथ ही दब गई थी जिसके चलते यहां पलायन के हालात पैदा हो गए है, करीब 90% लोगो ने चिन्यालीसौड़ के आसपास पलायन की योजना को अंतिम रूप भी दे दिया था, अचानक नव निर्वाचित प्रधान और उप प्रधान को अपने बीच मे उनकी चिंता को लेकर पाया तो सभी की आंखे भर आयी, आज के दौर में कौन किस के पास उनकी समस्या पूछने आता है, ग्रामीण राधा कृष्ण रतूड़ी गंगा देवी अमित आसाराम रतूड़ी गणेश महेश खुशीराम रतूड़ी आदि ने बताया कि उनके इस गांव में पहली बार कोई प्रधान चुनाव जीतने के बाद उनकी समस्या सुनने के लिए गांव तक आया है।
ग्रामीणों ने बताया कि सड़क से 200 मीटर कटिंग करके गांव को सड़क से जुड़ा जा सकता है इसके साथ ही यदि पानी की व्यवस्था हो जाए तू गांव में पशुपालन साग सब्जी उत्पादन एवं अन्य कृषि उत्पादन में बेहतर जीवन यापन किया जा सकता है मौके पर मौजूद प्रधान एवं उपप्रधान ने उसी वक्त क्षेत्र के जिला पंचायत सदस्य से दूरभाष पर संपर्क कर गांव ग्रामीणों की समस्या के समाधान पर चर्चा की सदस्य जिला पंचायत ने भरोसा दिलाया की डीपीसी की पहली बैठक में ही उनकी प्राथमिकता में पलायन की स्थिति में पहुंच चुके सरगांव की समस्याओं का समाधान किया जाएगा जिसके बाद गांव के सभी लोग पलायन छोड़ गांव में ही रुकने को राजी हो गए हैं दिखने में यह पहल बहुत छोटी है लेकिन हर ग्राम सभा से इसी तरह की शुरुआत होने लगे तो उत्तराखंड की खूबसूरत फिजाओं में फिर एक बार गांव की महक लौटने लगेगी