ईको फ्रेंडली होली महोत्सव में शिवमणि का संगीत, तबले की थाप, ड्रम के ताल व रूना रिजवी का जादुई संगीत

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ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन, अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में 73 देशों से आये योग जिज्ञासुओं ने विश्व विख्यात ड्रम एवं ताल वादक शिवमणि और रूना रिजवी का मंत्रमुग्ध करने वाले संगीत का आनन्द लेते हुये रंगों का त्योहार होली धूमधाम से मनाया। एक दूसरे को प्रेम और सौहार्द्र का रंग लगाते हुये भारतीय रंग में रंगे योगी। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, साध्वी भगवती सरस्वती जी, एक नई सोच के लेखक, अगापे इंटरनेशनल स्प्रिरिचुअल संेटर के संस्थापक रेवरेन्ड माइकल बेकविथ और न्यू थाॅट संगीतकार रिकी बायरस बेकविथ, अमेरिकी जीव वैज्ञानिक डाॅ ब्रूस लिप्टन, योगाचार्यो और योग जिज्ञासुओं ने होली के आनन्द के साथ वसुधैव कुटुम्बकम् का संदेश दिया।

इस अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज एवं साध्वी भगवती सरस्वती जी ने विश्व 73 देशों से पधारे योग साधक और योगाचार्य को होली पर्व के आध्यात्मिक महत्व के विषय में जानकारी देते हुये विश्व बन्धुत्व, सादगी, सद्भाव, समरसता एवं स्वच्छता का संदेश दिया। परमार्थ निकेतन, अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में भारत में इजरायल के राजदूत राॅन मल्का और उनकी पत्नी पधारे। परमार्थ निकेतन के ऋषिकुमारों ने शंख ध्वनि, तिलक और पुष्प वर्षा कर उनका स्वागत किया। राजदूत राॅन मल्का ने स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और साध्वी भगवती सरस्वती जी से भेंट की। स्वामी जी ने उन्हें वर्ष 2021 में हरिद्वार में होने वाले कुम्भ में सहभाग हेतु आमंत्रित किया। स्वामी जी और राजदूत राॅन मल्का के मध्य जल संरक्षण पर चर्चा की। परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि होली के रंग यही संदेश देते हैं कि भेदभाव, जातिपाति, ऊँच-नीच, जातिवाद, नक्सलवाद, सम्प्रदायवाद, भष्ट्राचार की दीवारों को तोड़ते हुये सभी प्रेम और सौहार्द के रंगों में रंग जाये। जिस प्रकार रंग एक दूसरे में मिलकर एक नये और खूबसूरत रंग का निर्माण करते हंै उसी प्रकार हम सभी आपस के सभी भेदभाव मिटाकर, सारे मदभेद भूल कर ऊँच-नीच और छोटे-बड़े का बन्धन  तोड़, सारी नफरत की दीवारों को मिटा कर एक नये विश्व का निर्माण करें जहां पर केवल शान्ति होेे। ऐसे ही जीवन के रंगमंच पर भी हम सभी भेदभावों को भुलाकर एक ऐसे समाज का निर्माण करें जिसमें समरसता हो, सद्भाव हो, प्रेम हो, सौहार्द्र हो, शान्ति हो, बन्धुत्व हो और आत्मीयता हो। स्वामी जी महाराज ने कहा कि होली आनन्द, उल्लास, उमंग और तरंग का पर्व है इसे आत्मसात कर जीवन में आगे बढे़।

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