माँ गंगा और यमुना के मायके उत्तरकाशी में कई धार्मिक यात्राओं में यात्रा पूण्य के साथ आयुष्मान होने का वरदान भी छिपा हुआ है। प्रकृति की अनुपम छटा के बीच 5 किमी का ट्रैक करने से श्रद्धालुओं में जहाँ आध्यात्मिक शांति का अनुभव होता है वही फिजिकल फिटनेस का बोनस अलग से प्राप्त होता है। बदलते दौर में महानगरों की भागम भाग जिंदगी के बीच नई पीढ़ी खुद के रिचार्ज के लिए प्राकृतिक मुस्किल भरी रहो का चुनाव कर रहे है।शिव नगरी उत्तरकाशी में होने वाली प्रमुख यात्राओं में नागणी देवी ट्रैक प्रमुख है।
उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से 18 किमी लंबगांव मार्ग पर संकुरणाधार तक वाहन से चलने के बाद 5 किमी के ट्रैक पर स्थानीय ग्रामीणों द्वारा पैदल मार्ग पर नवयुवकों के सहयोग से धर्मशाला पर सभी भक्तोंको फलाहार, चाय ,हलवा, बर्फ की खटाई सभी को खिलाई गयी । मंदिर में पहुँचने पर अभूतपूर्व शांति का आभास होता है। इस ऊंचे स्थल से चारो तरफ का बेहतरीन नजारा मन को खूब भाता है।
माँ नागणी देवी यात्रा : बालखिल्य पर्वत पर स्थित माँ नागणी देवी मंदिर में आज हज़ारो भक्तों , तीर्थ यात्रियों ने माता के दर्शन किये ।। साल भर में होने वाले इस यात्रा में धनारी पट्टी सहित बाड़ा गड्डी , उत्तरकाशी से हज़ारों भक्तों ने माँ नागणी के दर्शन किय ।। समुद्र तल से लगभग 9000 हज़ार फ़ीट पर सिद्धपीठ पूरे धनारी पट्टी में सबसे ऊंचा तीर्थस्थल है ।। उत्तरकाशी से संकुरणाधार तक 18 km वाहन से पहुचने के बाद, 5 km का ट्रैक है । बाज, बुराँश के घने जंगलों से होकर गुजरने के बाद माँ नागणी देवी मंदिर में पहुचने पर पूरे हिमाच्छादित विस्तृत श्रृंखला के मनोरम दर्शन होने के बाद पूरी थकान गायब हो जाती है ।।
ग्राम चिलमुड गांव , ढुंगाल गांव , बगसारी से नवयुवकों के द्वारा मंदिर धर्मशाला पर सभी भक्तोंको फलाहार, चाय ,हलवा, बर्फ की खटाई सभी को खिलाई गयी ।। गांव के सामाजिक कार्यकर्ताओं, नवयुवकों के इस पुण्य कार्य की सभी लोगों द्वारा सराहना की गई ।।
इस अवसर पर जगमोहन मटूड़ा, रमेश राणा,गजेंद्र मटूड़ा, शैलेन्द्र सिंह मटूड़ा, मुकेश , पृथ्वीपाल, महेंद्र राणा , चतर सिंह, शंभू राणा, श्रवण राणा, सुंदर सिंह , सहित गांव के समस्त कार्यकर्ताओं द्वारा यात्रा में अपना सहयोग प्रदान किया ।।