राजनैतिक दल नहीं अबकी बार मतदाता टटोल रहे कमजोर कड़ी – कहा गिरेगा पर्दा और कहा बदलेगा सीन

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मंच पर कांग्रेस और परदे के पीछे बीजेपी – नए सीन को देखने के लिए आतुर मतदाता दर्शको की भीड़

देश भर में विधान सभा चुनाव में बीजेपी की रणनीति से ऐसा लगता है कि वह सिर्फ कांग्रेस मुक्त भारत की एक लाइन पर काम कर रही है | उत्तराखंड में भी बारी बारी राज करने की परंपरा के चलते निश्चिंत होकर अपनी बारी का इंतजार कर रही कांग्रेस को तब झटका लगा जब बीजेपी के इस बार दिग्गज मिथक बदलने कि बात करने लगे | पता चला कि जीत के भरोसे सत्ता के सपने देखने वाली कांग्रेस ने अपने होम वर्क तैयार करने में देबड़ी देर कर दी, जबकि बीजेपी कोरोना के लौक डाउन के दिनों भी ऑनलाइन होम वर्क में जुटी रही | अब अगर प्रदेश में बीजेपी मिथक बदलने का दावा कर रही है तो इसके पीछे सिर्फ कांग्रेस का कमजोर होना है | पूर्व पीसीसी चीफ किशोर उपाध्याय ने भी इस बात को समझते हुए पार्टी के सभी गुटों का मुख एक सीध में करने का भरषक प्रयास किया पर कोई फायदा नहीं मिला | पूर्व सीएम हरीश रावत ने भी नेतृत्व का चेहरा घोषित करने का सुझाव दिया उस पर भी कोई अमल नहीं हुआ | अब राजनैतिक दल कोई भी खेल खेले, मतदाताओ के मन में ये बात घर कर गयी है कि बीजेपी सत्ता के लिए कुछ भी करेगी चर्चा है कि प्रदेश में अपनी कमजोर सीट पर कांग्रेस प्रत्यासियो को बीजेपी में सामिल कर चुनाव लड़ा सकती है | हालात ये है कि पहले राजनैतिक दल जनता कि नब्ज टटोलते थे अब जनता राजनैतिक दलों को टटोल रही है कि आखिर कमजोर कड़ी कौन है? कहा से पर्दा गिर सकता है और मंच पर कहाँ सीन बदल सकता है |

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