उत्तराखंड कैबिनेट के सबसे सीनियर मंत्री सतपाल महाराज क्या सरकार में खुद को सहज महसूस नहीं कर पा रहे हैं । आखिर धामी सरकार में ऐसा क्या है कि सतपाल महाराज जो बात बार-बार कहते हैं उस बात पर ध्यान नहीं दिया जाता,
गौर ही नहीं किया जाता, अमल करना तो बहुत दूर की बात है ।
आखिर ऐसा क्या हो रहा है कि सतपाल महाराज जो शिकायत लंबे अरसे से करते आ रहे हैं, उस शिकायत का समाधान अब तक नहीं निकल पाया है, आखिर क्यों सतपाल महाराज को यह कहना पड़ा है कि उत्तराखंड के मंत्रियों को मजाक का पात्र बनना पड़ता है या दूसरे राज्यों के मंत्री उत्तराखंड के मंत्रियों पर हंसते हैं ।
ये तमाम वो पहलू हैं जो सतपाल महाराज के दर्द, तकलीफ और और उनके सियासी तजुर्बे के लिए बड़े महत्वपूर्ण माने जा सकते हैं । लेकिन सबसे पहले सतपाल महाराज की एक कार्यवाही के बारे में समझते हैं ।
सतपाल महाराज उत्तराखंड मे पीडब्ल्यूडी मंत्री है और खुद मंत्री ने एक सड़क खुदवा दी क्योकि ये सड़क पूरी तरह से घटिया गुणवत्ता से बनाई गई थी इसका निर्माण हो चुका था लेकिन इसमे जो डामर प्रयोग किया गया था वह बहुत घटिया किश्म का था महाराज को इसकी जानकारी मिली तो उन्होने इस पर बुलडोजर चलवा दिया और नए सिरे से सड़क बानने के आदेश दिये ये सतपाल महाराज का एक्शन है अब इसका रिएक्शन भी देखिए सतपाल महाराज पीडब्ल्यूडी मंत्री हैं उनके कड़े आदेश और हिदायतो के बावजूद अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत से सड़क सही तरह से नहीं बनाई गई उसका घटिया निर्माण किया गया, जमकर पैसे की बंदरबांट की गई सीधा मतलब है कि सरकारी धन का दुरुपयोग हुआ है मतलब साफ है कि सतपाल महाराज की बात अधिकारियों ने सुनी नहीं , वैसे अधिकारियों की शिकायत हाल में ही विधानमंडल दल की बैठक में भी हुई जहां कई विधायकों ने यहां तक कहा कि अधिकारी उनके फोन ही नहीं उठाते और फोन उठाते भी हैं तो बात नहीं करते हैं ये तमाम वो बाते है जिंका महाराज से सीधा सीधा-सीधा कनेक्शन है क्योंकि सतपाल महाराज बार बार इस बात की वकालत करते रहे है की सचिव स्तर के अधिकारियों की सीआर लिखने के अधिकार मंत्री के पास होने चाहिए लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा है और इसीलिए सतपाल महाराज कुछ खफा-खफा हैं जबसे सतपाल महाराज मंत्री बने हैं तब से लगातार यह मांग उठाते हैं त्रिवेन्द्र सरकार , तीरथ सरकार और अब धामी सरकार , महाराज लगातार यह बात उठाते रहे हैं लेकिन उन्हे ये अधिकार मिला नहीं उत्तराखंड मे सचिव की सीआर लिखने का अधिकार सिर्फ मुख्यमंत्री को ही है । उनकी इस बात पर धन सिंह रावत कहते है कि जो सिस्टम अभी तक चला आ रहा है उसे चलने दीजिए याने मुख्यमंत्री को ही सीआर लिखने दीजिए ऐसे में सतपाल महाराज की तकलीफ यही है कि उन्हे सीआर लिखने का अधिकार दिया नहीं जा रहा है इसीलिए अफसर मनमानी करते हैं और उत्तराखंड में काम हो नहीं रहा है सतपाल महाराज ने ये भी कहा कि दूसरा राज्य के मंत्री उन पर हंसते हैं कि उत्तराखंड के मंत्रियों को कोई अधिकार ही नहीं है अब सतपाल महाराज को जब अधिकार मिल ही नहीं रहे हैं तो जाहीर है कि वे सरकार के भीतर सहज कैसे होंगे