उत्तराखंड प्रदेश में विधायकों की कुछ चले या न चले किंतु कुछ वरिष्ठ काबीना मंत्रियों ने अपनी विधानसभा में अपनी मनपसंद के डॉक्टर, आईएएस और अन्य सरकारी मुलाजिमों की तैनाती में ही अपना मंत्री पद की गरिमा संभाल कर रखी हुई है जिसके बाद विधायको द्वारा खुद को दोयम दर्जा दिए जाने से खुसर फुसर भी सुरु हो गयी है।
उत्तरकाशी जिला अस्पताल में सीमित संसाधनों के बावजूद अस्पताल में तैनात डॉक्टरो के भरसक प्रयास से मरीजो को जो लाभ मिल रहा है वो लंबे समय तक मिलता रहेगा इसकी उम्मीद कम ही दिखाई देती हूं। स्थानीय निवासी होने के नाते स्टाफ की कमी के बाद भी अभी तक अस्पताल में टिके हुए डॉ सुरेंदर सकलानी भी देर सबेर जुगाड़ से ट्रांसफर करवा राजधानी के आसपास सिमिट सकते है।
नौगांव निवासी 35 वर्षीय सुमित्रा देवी के लीवर और पैंक्रियास में ट्यूमर का सफल ऑपरेशन डॉ सुरेंद्र सकलानी द्वारा जिला चिकित्सालय उत्तरकाशी में किया गया है।
गिरीश गैरोला
एक दौर में जनपद में जिला चिकित्सालय में एक ही पद पर दो से तीन विशेषज्ञ तैनात थे किंतु आज हालात यह हो गए हैं जिला अस्पताल में न तो फिजिशियन तैनात है और न एनेस्थीसियन डॉक्टर।
बिना बेहोशी के डॉक्टर की मौजूदगी के ऑपरेशन करना रिस्की है ऐसे में जिला अस्पताल में तैनात वरिष्ठ सर्जन डॉ सुरेंद्र सकलानी भी अब अकेले कब तक ऑपरेशन की जिम्मेदारी लेते रहेंगे ।
गौरतलब है की जिला अस्पताल उत्तरकाशी में ट्रामा सेंटर की बड़ी बिल्डिंग तो बनकर तैयार है किंतु बिल्डिंग में कोई स्टाफ मौजूद नहीं जिला अस्पताल में सीटी स्कैन मशीन भी है किन्तु बिना फिजीशियन के पूरी की पूरी चेन बेकार साबित हो रही है ।
उत्तरकाशी को भेजे गए फिजीशियन उत्तराखंड प्रदेश के वरिष्ठ काबीना मंत्री के खास खास माने जा रहे हैं लिहाजा एक खास मंत्री के जनपद से कम खास के जनपद में डॉक्टर ना भेजना सरकार की मजबूरी हो सकती है।
ऐसे ही जिला अस्पताल में आईसीयू भी बनकर तैयार है किंतु संभालने के लिए स्टाफ नही है। हालांकि जिला अस्पताल से कुछ गिनती के स्टाफ में से ही कुछ को आईसीयू की ट्रेनिंग कर लिए दून भेजा गया था पर बात कुछ बनी नही।
उत्तरकाशी जिले में गंगोत्री और यमुनोत्री का मायका बताया जाता है , आधा देश इन्ही नदियों के जल से अपनी प्यास बुझाते है ,
इतना ही नही उत्तराखंड राज्य में सरकार बनाने में गंगोत्री विधानसभा का महत्वपूर्ण रोल माना जाता है उत्तर प्रदेश के समय से ही यह मिथक अभी भी चला आ रहा है कि गंगोत्री से चुनाव जीतने वाले दल की ही राज्य में सरकार बनती है किंतु सरकार बनने के बाद यहां के विधायक को सभा सचिव बनाकर लॉलीपॉप थमा दिया जाता है ।
आलम यह है कि सुबह में कद्दावर कबीना मंत्री आपने अपनी विधानसभाओं तक सीमित होकर अपनी मनमर्जी के स्टाफ को अपने विधानसभा में ही तैनात करने के काम में लगे हुए ऐसे में एक वरिष्ठ कबीना मंत्री के आगे एक सभा सचिव की मजबूरी को भली-भांति समझा जा सकता है ।