ठग के लौटने का पालिका करती रही दो वर्ष इंतजार।
किसी नजर को तेरा इंतजार आज भी है के तर्ज पर
गिरीश गैरोला
गरीब ठेलि- फड़ी व्यापारियों की खून पसीने की कमाई से लाखों लेकर दुकान देने का सपना बेचने वाली उत्तरकाशी पालिका को एक दिन आखिर सवा सेर मिल ही गया। स्वच्छता अभियान के लिए कॉम्पेक्टर मशीन लगाने की निविदा स्वीकार होने के बाद शातिर ठग तीन लाख रु अग्रिम लेकर ऐसा चंपत हो हुआ कि पालिका उसे दो वर्षों तक भी तलाश नही कर सकी। प्रशासक द्वारा पॉलिस में मामला दर्ज करने के बाद अब पालिका बोर्ड के कुछ जिम्मेदार लोगों पर कार्यवाही की तलवार लटक गई है।
उत्तरकाशी में स्वच्छता अभियान के अंतर्गत 17 लाख रु की धनराशि से पालिका को कूड़ा निस्तारण और पलास्टिक को री सायकल करने के लिए
नन मशीन लगानी थी। पालिका ने वर्ष 2016 में नविदा जिस सख्स के नाम निकाली वह शातिर व्यक्ति तीन लाख की अग्रिम धनराशि लेकर ऐसा चंपत हुआ कि आज तक नही लौटा। दो वर्ष तक पालिका ने इस मामले को दबाए रखा किन्तु पालिका
कार्यकाल पूर्ण होने के बाद प्रशासक अनुराग आर्य ने जब जांच बैठाई तो प्याज की परतों की तरह घोटालो की लिस्ट खुलने लगी। सिटी बस घोटाला, घटिया और फर्जी निर्माण, पालिका की परिसंपत्ति विवाद , पालिका की किराये से आय के घोटाले के बाद नया तीन लाख का नया घोटाला सामने आया। प्रशासक ने इसकी रिपोर्ट थाना कोतवाली में दर्ज कराई तो जांच में नए खुलासे हुए । कोतवाली प्रभारी महादेव उनियाल ने बताया कि जक्त व्यक्ति द्वारा बताया गया पता भी फर्जी निकला है। अब सवाल ये है कि बिना एड्रेस प्रूफ के कैसे निविदा स्वीकार हुई और उक्त शातिर व्यक्ति को सेल्फ का चेक कैसे दिया गया। साथ ही बिना पैन कार्ड के खाते से रकम कैसे निकली ? कुछ सवाल है जिनके उठने के डर से पालिका प्रशासन दो वर्षों तक फरार आरोपी के लौटने का इंतजार करती रही पर माया मिली न राम।