परमार्थ निकेेतन में मुम्बई से पधारा योगियों का दल-विश्व ग्लोब का जलाभिषेक कर जल संरक्षण का लिया संकल्प

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ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन में मुम्बई से आये योगी अमरनाथ जी के मार्गदर्शन में साधकों और योगियों का दल पधारा। दल के सदस्यों ने स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में अपनी आध्यात्मिक जिज्ञासाओं का समाधान प्राप्त किया। योगी अमरनाथ जी ने परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज को भगवान बुद्ध की फोटो भेंट की। स्वामी जी ने कहा कि भगवान बुद्ध ने प्रेम और शान्ति की शिक्षा दी है। वर्तमान समय में पूरा विश्व शान्ति की तलाश में है परन्तु शान्ति बाहर तलाश करने से प्राप्त नहीं हो सकती उसके लिये हमें अपना माइंडसेट करना होगा

गिरीश गैरोला

  मानव जितना प्रकृति के सान्निध्य में रहेगा उतना ही शान्त और सुखी जीवन जी सकता है। दूसरी महत्वपूर्ण बात यही भी है कि जब तक प्रत्येक मनुष्य की मूलभूत आवश्यकतायें पूर्ण नहीं होती तब तक हम सर्वत्र शान्ति की कामना नहीं कर सकते। भारत सहित विश्व के अनेक देशों में बड़ी संख्या में लोगों के पास स्वच्छ जल, शुद्ध वायु, पर्याप्त भोजन और शिक्षा का अभाव है जब तक ये जरूरतें पूरी नहीं होती शान्ति की कल्पना नहीं की जा सकती। मुम्बई से आये साधकों और योगियों के दल को जल संरक्षण हेतु प्रेरित करते हुये स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि जल है तो जीवन है। जल मनुष्य की प्रमुख मूलभूत आवश्यकताओं में से एक हैै। स्वच्छ जल के अभाव के कारण भारत में ही प्रतिदिन पांच वर्ष से कम उम्र के लगभग 1600 बच्चों की मौत हो जाती है। स्वच्छ जल के अभाव में जीवन तो क्या दुनिया की किसी भी सभ्यता की कल्पना तक नहीं की जा सकती। आज कई स्थानों पर वायु प्रदूषण इतना अधिक बढ़ गया है कि लोगों को शुद्ध प्राणवायु आॅक्सीजन नहीं मिल पा रही है। बढ़ता वायु प्रदूषण भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिये एक बहुत बड़ी समस्या है। यह समस्या  किसी व्यक्ति विशेष की नहीं बल्कि पूरे प्राणीजगत की समस्या है। अतः मुझे तो लगता है कि अब हम सभी की साधना और योग की शक्ति तथा समर्पण जल संरक्षण और वृक्षारोपण के लिये हो तभी सर्वत्र शान्ति और आनन्द की कल्पना कर सकते है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती के सान्निध्य मंे योगी अमरनाथ और सभी साधकों व योगियों ने विश्व स्तर पर स्वच्छ जल की आपूर्ति हेतु विश्व ग्लोब का जलाभिषेक किया एवं जल संरक्षण का संकल्प लिया।

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