देहरादून स्थित प्लांटिका संस्था द्वारा तृतीय प्लांट साइंस रिसर्च मीट का प्रारम्भ किया क्या जिसके अंतर्गत दो दिवसीय ऑनलाइन राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। “प्राकृतिक एवं कृषि विज्ञानं में समस्याएं एवं संभावनाएं” विषयक इस संगोष्ठी में विचारों के आदान प्रदान हेतु देशभर से कुल १६१ वैज्ञानिकों, प्राध्यापकों, अनुसन्धान विद्वानों, किसानों तथा कृषि से जुड़े अन्य लोगों ने प्रतिभाग किया। संगोष्ठी का शुभारम्भ प्लांटिका संस्था के अध्यक्ष डॉ अनूप बडोनी, संगोष्टी सचिव डॉ. पूजा कैंतुरा, डॉ. एन मुर्गालाथा एवं कोर्डिनेटर श्री आदर्श डंगवाल ने मुख्य वक्ताओं के संक्षिप्त परिचय के साथ किया।
संगोष्ठी के आरम्भ में अपने सम्बोधन में मुख्य अतिथि, वीर चंद्र सिंह गढ़वाली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ. डॉ ए. के. कर्नाटक ने शुभकामनाओं के साथ प्राकृतिक खेती की विशेषताओं जैसे पूर्ण तया रसायन मुक्त खेती, तंत्र आधारित कृषि वानिकी, उर्वरक एवं सघन सिंचाई का विस्तारपूर्वक वर्णन किया।
संगोष्ठी को आगेबढ़ाते हुए प्रिंसिपल चीफ कंज़र्वेटर ऑफ़ फारेस्ट, उत्तराखंड डॉ कपिल जोशी, आईएफएस ने अपने विचारों को प्रस्तुत किया। डॉ. जोशी ने पर्वतीय छेत्रों में कृषि सम्बंधित मुख्य समस्याओं पर शोधार्थियों का ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने पर्वतीय छेत्रों में जंगली जानवरों द्वारा फसल का नुकसान होने को पर्वतीय छेत्रों में पलायन एवं खेती के प्रति युवाओं के रुझान में कमी के लिए एक महत्वपूर्ण समस्या बताई। इसके समाधान के लिए डॉ. जोशी ने पर्वतीय छेत्रों में औषधीय पौधों की खेती को बढ़ावा देने की बात कही।
संगोष्ठी के प्रथम दिन हेमवती नंदन बहुगुणा विश्विद्यालय में कृषि एवं सम्बद्ध विज्ञानं विभाग के डीन प्रोफ डॉ जे. एस. चौहान, एच् ए पी पी आर सी , हेमवती नंदन बहुगुणा विश्विद्यालय के निदेशक डॉ. ए आर नौटियाल , स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय के पूर्व डीन एवं फैकल्टी अध्यक्ष, प्रिंसिपल कृषि विभाग दून बिजनेस स्कूल देहरादून डॉ आई .जे .गुलाटी , आई सी ए आर के पूर्व वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. आर के अरोरा उपश्थित रहे एवं इन सभी ने अपने – अपने सुझाव एवं अनुभव प्रतिभागियों के साथ साझा किये।
संगोष्टी के दूसरे दिन की शुरुआत बाँदा कृषि विश्वविद्यालय के एसोशिएट शोध निदेशक डॉ ए. सी. मिश्रा ने के विचारों द्वारा हुई उन्होंने उत्तराखंड के पर्वतीय छेत्रों में मौजूद नेचुरल रिसोर्सेस के संरक्षण एवं उनके उपयोग को बढ़ावा देने की बात कही। तदोपरांत गोबिंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रद्योगिकी विश्वविद्यालय रुद्रप्रयाग के कृषि विकास केंद्र के अध्यक्ष डॉ संजय सचन नेअपने विचार रखे। डॉ. मिश्रा एवं डॉ. सचान ने जैविक खेती को बढ़ावा देने की बात कही एवं उच्च गुणवत्ता के बीजों की कमी तथा हाइब्रिड बीज की हाई कॉस्ट को किसानो के लिए मुख्य समस्या बताया.
संगोष्टी में नागपुर से डॉ. अभिषेक माथुर एवं महाराष्ट्र से वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. प्रशांत जोशी सम्मलित हुए एवं अपने विचार एवं शोध प्रस्तुत किया. प्लांटिका संसथान की इस पहल को सभी सम्मानित विशिष्ठ अथितियों ने सराहा एवं उत्तराखंड में कृषि को बढ़ावा देने एवं शोध करने की सलाह दी. डॉ. अनूप बडोनी द्वारा सभी अथितियों का आभार किया गया एवं संगोष्टी की पुष्टिका भी अवलोकित की गई.
तृतीय प्लांट साइंस रिसर्च मीट २०२० में यंग साइंटिस्ट अवार्ड्स का आयोजन भी किया गया जिसमे सभी सम्मलित शोधार्थियों ने भाग लिया एवं अपना अपना शोध प्रस्तुत किया जिसके आधार पर डॉ. विक्रांत एवं सोनिया टम्टा को यंग प्लांट साइंटिस्ट अवार्ड, डॉ. अनिल पंवार एवं डॉ. सुप्रिया को प्लांट साइंस एक्सेलिएन्स रिसेर्च अवार्ड, हरीश झाधव एवं अमनदीप कौर को यंग रिसर्च अवार्ड एवं वैष्णवी वर्मा को एमर्जिंग रिसर्च अवार्ड से सम्मानित किया गया।