सरकार के किसान विरोधी फैसलों के रिकॉर्ड सार्वजनिक।
अंकित तिवारी, दिल्ली।
तीन राज्यों में किसानों की समस्याओं का चुनाव में असर देखत हुए एक बार फिर लोकसभा चुनाव 2019 में किसानों को आगे रखकर एक बार फिर मोदी सरकार को घेरने की तैयारी शुरू हो गई है ।
दिल्ली प्रेस क्लब में किसानों ने किसानों की समस्याओं से जुड़ी किसान विरोधी पुस्तिका का विमोचन कर अपना विरोध प्रकट किया।
दिल्ली के प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में राष्ट्रीय किसान महासंघ द्वारा “नरेन्द्र मोदी किसान विरोधी” पुस्तिका का विमोचन किया गया। इस मौके पर मध्यप्रदेश से शिव कुमार कक्काजी, पंजाब से श्री जगजीत सिंह डल्लेवाल, उत्तरप्रदेश से श्री हरपाल चौधरी, कर्नाटक से श्री बसवराज पाटिल, आंध्र प्रदेश से श्री जव्रे गौड़ा, हरियाणा से श्री अभिमन्यु कोहाड़ मौजूद रहे। इस पुस्तिका में वर्तमान बीजेपी सरकार द्वारा पिछले 5 सालों में लिए गए किसान विरोधी फैंसलों को प्रमाण के साथ प्रस्तुत किया गया है।
श्री शिव कुमार कक्काजी ने कहा कि वर्तमान सरकार ने पिछले 5 सालों में अनेक किसान-विरोधी फैसले लिए जिस से किसान हितों को गंभीर नुक्सान हुआ। 2014 के लोकसभा चुनावों से पहले नरेंद्र मोदी जी द्वारा किया गया स्वामीनाथन आयोग के अनुसार फसलों का लाभकारी मूल्य (C2+50%) देने का वादा 5 साल में पूरा नहीं किया गया, फसल बीमा योजना से किसानों को लूटा गया व भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के जरिये किसानों की जमीन लूटने की कोशिश की गई।
श्री जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा कि सरकार की ई-नेम, सॉयल हेल्थ कार्ड, भावान्तर, पीएम आशा, पीएम कृषि सिंचाई जैसी योजनाएं पूर्ण तौर पर विफल साबित हुई। किसानों की आत्महत्या के आंकड़े बढ़ गए हैं, 2016 के बाद से सरकार ने किसानों की आत्महत्या के आंकड़े प्रकाशित करना बंद कर दिए हैं। दालों, चीनी का उत्पादन देश की वार्षिक जरूरतों से ज्यादा होने के बावजूद विदेशों से आयात किया जा रहा है जिस से किसानों को नुक्सान उठाना पड़ रहा है।
श्री हरपाल चौधरी ने कहा कि गन्ना किसानों का ₹ 22,000 करोड़ से ज्यादा शुगर मिलों पर बकाया है। गेहूं से आयात शुल्क खत्म कर विदेशों से गेहूं का आयात किया जा रहा है जिस से किसानों को अपनी फसलों के उचित दाम नहीं मिल रहे हैं।
श्री बसवराज पाटिल ने कहा कि कैग, सीबीआई, कोर्ट जैसे विश्वसनीय संस्थानों की स्वायत्ता पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहे जाने वाला मीडिया अपनी भूमिका का निर्वाह सही से नहीं कर रहा है, सरकार की गलत नीतियों पर सवाल उठाने वाले पत्रकारों को निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि RCEP जैसे फ्री ट्रेड एग्रीमेंट्स विषयों पर सरकार द्वारा किसानों से सलाह नहीं ली जा रही है, यह गम्भीर चिंता का विषय है।
श्री जव्रे गौड़ा ने कहा कि हमारा आंदोलन किसी पार्टी के खिलाफ नहीं बल्कि पार्टियों की गलत नीतियों के खिलाफ है। हमारा मकसद देश के किसानों को इकट्ठा कर के एक मंच पर लाकर उनके हक़ों की लड़ाई लड़ना है।
श्री अभिमन्यु कोहाड़ ने कहा कि सरकार द्वारा पूंजीपतियों का 2,72,000 करोड़ का कर्ज़ माफ कर दिया गया लेकिन किसानों को कर्ज़मुक्त नहीं किया गया। इंटरनेशनल बाजार में कच्चे तेल के दाम कम होने के बावजूद देश में डीजल के दाम बढ़ाये गए जिस से फसलों की लागत मूल्य में बढ़ोतरी हुई। 2014 में सरकार बनते ही फसलों पर मिलने वाले बोनस बन्द कर दिए गए। युवाओं को 10 करोड़ नए रोजगार देने का वादा मोदी जी ने 2014 के चुनावों से पहले किया था लेकिन नये रोजगार देने की बात तो दूर, आज के दिन बेरोजगारी दर ऐतिहासिक स्तर पर पहुंच गई है।
किसानों-युवाओं को जागृत करने व गैर-राजनीतिक रूप से संगठित करने, जनहित के मुद्दों को चर्चा में लाने और वर्तमान सरकार की गलत नीतियों से जनता को अवगत कराने के लिए यह पुस्तिका राष्ट्रीय किसान महासंघ द्वारा प्रकाशित की जा रही है और देश के करोड़ों किसानों को जागृत करने के लिए 6 भाषाओं में यह पुस्तक प्रकाशित की जा रही है। अन्य भाषाओं में पुस्तिका का विमोचन अन्य राज्यों में किया जाएगा।