डरावना आंकड़ा है सफाई कर्मियो की मौत का

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अंकित तिवारी

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और आल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन की तरफ से आयोजित बाबा साहेब आंबेडकर की जयंती के अवसर पर “मोदी सरकार और सफाई कर्मचारियों के आज के हालात” पर परिचर्चा हुई। भाकपा उ प्र के प्रांतीय कार्यकारिणी सदस्य गफ्फार अब्बास एड ने संविधान की प्रस्तावना पर प्रकाश डाला साथ ही AISF राज्य परिषद् के उपाध्यक्ष मुनेश अकबरपुरिया ने कहा हर साल अनेकों सफाईकर्मी मात्र 300 रुपये दिहाड़ी के लिए सीवर की जहरीली गैस के कारण मर जाते हैं।

 

2013 में संशोधित शुष्क शौचालय निषेध अधिनियम 1993 और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद सरकारों ने सफाईकर्मियों की निर्मम हत्या को सिर्फ अनदेखा किया। आज तक एक पैसा किसी मृतक को हर्जाना नहीं दिया। पिछले 25 सालों में 10 से भी कम कार्यवाही हुईं जो अंजाम तक न पहुच सकीं। मिनिस्ट्री ऑफ सोशल जस्टिस एंड एम्पावरमेंट द्वारा दिए गए डाटा के अनुसार 300 से ज्यादा मोंतें अकेले 2017 में सेप्टिक टैंक में उतरने की वजह से हुईं। भारत में दशकों से आत्म सम्मान और जान बचाने की लड़ाई लड़ रहे सफाईकर्मी आज हाशिये पर खड़े आती जाती सरकारों की तरफ देखते हैं। और प्रधानमंत्री मोदी संवेदनहीनता के साथ कहते हैं कि “गटर में उतरने वालो को आध्यात्मिकता का आनंद मिलता है” में प्रधानमंत्री का आव्हान करता हूँ क्यों देश विदेश के मंदिरों में भटकते हो कोई गन्दा सा गटर ढूंढो और उत्तर जाओ और आनंद लो आध्यात्मिकता का।
पिछले दिनों इलाहबाद में प्रधानमंत्री ने प्रतीकों की राजनीती के तहत सफाईकर्मियों के पैर धुले असल में उनके लिए कुछ करना होता तो वो करते की उनको ऊनी जान खतरे में डाल कर गटर में उतारना न पड़ता। मोदी सरकार दलितों की हितैसी बनने का दिखावा मात्र करती है।
में सभी राजनैतिक पार्टियों से मांग करता हूँ घोषणापत्र में इस बात को शामिल किया जाये कि सुप्रीम कोर्ट के एंटी मैन्युअल स्कावंजिंग कानून को जल्द से जल्द लागू किया जाना चाहिए और सभी सफाई कर्मियों को स्थायी किया जाना चाहिए।
परिचर्चा में भाकपा के मथुरा जिला सचिव कुलभानु कुमार, AISF से रवि शर्मा, मा. विरेद्र सिंह, दुर्गाप्रसाद अदि मौजूद रहे

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