देहरादून। चारधाम यात्रा को पर्यावरण के अनुकूल बनाने के लिए बद्रीनाथ और केदारनाथ धाम में पॉलिथीन के इस्तेमाल पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया गया है। प्लास्टिक बैग की जगह जूट और कपड़े के बैग दिए जाएंगे। अब प्रसाद भी जूट और कपड़े के बैग में मिलेगा। इससे स्थानीय स्वरोजगार को बढ़ावा मिलेगा। बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति ने इन बैग के निर्माण के लिए देहरादून में प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया है। मंदिर समिति के मां चंद्रबदनी मंदिर यात्री विश्राम गृह में स्वयंसेवी संस्था “सरस्वती जनकल्याण एवं स्वरोजगार संस्थान समिति” के कर्मचारी इन बैग्स और प्रसाद के बॉक्स बनाने का प्रशिक्षण ले रहे हैं। इससे न केवल चारधाम को स्वच्छ रखा जाएगा, बल्कि स्थानीय लोगों को भी रोजगार मिलेगा।
बीकेटीसी (बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति) के अधिशासी अभियंता अनिल ध्यानी ने प्रशिक्षण कार्यशाला का निरीक्षण किया। उनका कहना हैं कि प्रसाद के लिए जूट एवं कपड़े की थैलियों को बढ़ावा देने से तीर्थयात्री बद्रीनाथ और केदारनाथ धाम में पॉलिथीन का उपयोग नहीं करेंगे, जिससे हिमालयी पर्यावरण को संरक्षित करने में मदद मिलेगी। इस पहल से न केवल चारधाम क्षेत्र स्वच्छ रहेगा, बल्कि पर्यावरण को भी संरक्षित किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि ऐसे प्रशिक्षण से बीकेटीसी कर्मचारियों की भी कार्य क्षमता विकसित होगी एवं समय-समय पर प्रशिक्षण का आयोजन किया जाएगा। इस दौरान बीकेटीसी कर्मचारी संघ अध्यक्ष विजेंद्र बिष्ट भी मौजूद रहे।
बीकेटीसी मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ का कहना हैं कि बीकेटीसी मुख्य कार्याधिकारी विजय प्रसाद थपलियाल ने 20 मार्च को कार्यशाला का शुभारंभ किया था। निरीक्षण के दौरान सरस्वती स्वरोजगार संस्थान अध्यक्ष प्रदीप डोभाल, संरक्षक एडी डोभाल, प्रशिक्षक रंजना गिरी, खुशबू, निधि प्रजापति, बद्रीनाथ केदारनाथ कर्मचारी संघ के अध्यक्ष विजेंद्र बिष्ट, धर्माधिकारी राधाकृष्ण थपलियाल, प्रबंधक किशन त्रिवेदी मौजूद रहे।