उत्तरकाशी। जिले के प्रधान संगठनों ने सरकार की मोबाइल मॉनिटरिंग सिस्टम को अनिवार्य रूप से लागू करने का विरोध शुरू हो गया है।
बुधवार को प्रधान संगठन के प्रदेश महामंत्री के नेतृत्व में ग्राम प्रधानों ने जिलाधिकारी से मुलाकात कर मुख्यमंत्री धामी को ज्ञापन प्रेषित किया है। ज्ञापन में कहा गया कि यदि मांगों पर पुनर्विचार नहीं किया जाता है तो 9 जनवरी को उत्तराखंड के प्रत्येक विकासखंडों में समस्त ग्राम प्रधानों का धरना दिया जाएगा और मनरेगा कार्य का पूर्ण बहिष्कार किया जाएगा।
ज्ञापन में कहा गया कि जनवरी 2023 से राज्य में मोबाइल मॉनिटरिंग सिस्टम को अनिवार्य रूप से लागू किया गया है जिसका प्रधान संगठन विरोध करता है। उत्तराखंड की विषम भौगोलिक परिस्थिति होने के कारण अधिकांश गांव में नेटवर्क नहीं है कई किलोमीटर पैदल मार्ग हैं ऐसे में मोबाइल मॉनिटरिंग सिस्टम लागू करना संभव नहीं है। एमआईएस साइट को दिनों दिन जटिल बनाया जाना एम आई एस में आधार एफटीओ भुगतान की समस्या,ग्राम प्रधानों एवं संबंधित कर्मचारियों को बिना प्रशिक्षण प्रदान किए बिना ही नए सिस्टम को लागू किया जा रहा है।
वहीं मनरेगा के अंतर्गत ग्राम पंचायतों में 20 से अधिक कार्यों का ना होना महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना एक ऐसी योजना है जिससे ग्राम पंचायतें अपने ग्राम पंचायत क्षेत्रों में विकास कार्य अधिक करती ये ही वजह रही कि पंचायतों में कार्य की अधिकता रहती है, लेकिन 20 ही कार्य किए जाने की बाध्यता होने के कारण कार्य नहीं हो पा रहे हैं कई फाइलों का समय से सामग्री भुगतान एवं कुशल मजदूरी न होने के कारण कई माह तब फाइलें गतिमान रहती हैं। जबकि पूर्व में जिन फाइलों का मेटेरियल एवं कुशल मजदूरी भुगतान शेष रहता था उनको फिजिकली क्लोज्ड ऑप्शन के माध्यम से बंद कर दिया जाता था ताकि कार्य ग्राम पंचायतों में सुचारू रूप से गतिमान रहे परंतु अब उस व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया है जिससे ग्राम पंचायतों में विकास की गति वर्तमान में शून्य है।
ज्ञापन में कहा गया कि केंद्रीय वित्त से ग्राम पंचायतों को मिलने वाली 15वें वित्त की धनराशि ग्राम पंचायतों को नहीं मिली है जिससे ग्राम पंचायतों में विकास कार्य पूर्ण रूप से ठप हैं। वर्तमान वित्तीय वर्ष 2022-23 की कार्य योजना पर एक भी कार्य नहीं हुए हैं जबकी पंचायती राज विभाग ने जनवरी माह तक आगामी वित्तीय वर्ष की कार्य योजना बनाने का फरमान जारी किया गया है। वहीं पूर्व में ग्राम प्रधानों को कोरोना प्रोत्साहन राशि 10000 तथा ग्राम पंचायत आपदा निधि के रूप में 10000 देने की घोषणा की थी जो मांगे आज दिन तक पूर्ण नहीं हुई है जिससे ग्राम प्रधान अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं।