*• ‘रोजगार और श्रमिक अधिकार’ पर संगोष्ठी में बढती बेरोजगारी की पोलखोल*
*• श्रमिकों के अधिकार देशी विदेशी पूंजीपति छीन के कर रहे कमाई व कब्जा अर्थव्यवस्था पर : एड. माथुर*
*• संघर्ष से निकले श्रमकानूनों में बदलाव और 4 संहिताएँ श्रमिक विरोधी; इन्हें रोकना जरुरी: हरभजनसिंह सिद्धू*
*• किसान – आदिवासियों का स्वयंरोजगार ख़त्म करने वाले विकास के साथ युवाओं की बेरोजगारी और पूंजीपतियों की दादागिरी को भी देंगे चुनौती: मेधा पाटकर*
*• सेंचुरी के श्रमिकों ने ली मिल्स चलाने की व्यापक चुनौती को समर्थन का प्रस्ताव*
अंकित तिवारी
‘रोजगार और श्रमिक अधिकार’ पर इंदौर (म.प्र.) में हुई संगोष्ठी में म.प्र. के हिन्द मजदूर सभा से संलग्न श्रमिक जनता संघ के सेंचुरी के श्रमिक व अन्य उद्योगों में कार्यरत श्रमिक (जैसे प्रतिभा सिंटेक्स व अवटेक पीथमपुर), रेल्वे मजदूर युनियन, नागदा, उज्जैन, देवास व इंदौर के पदाधिकारी एवं कार्यकर्त्ता तथा कुछ बुद्धिजीवी, तकनीकी विशेषज्ञ व पत्रकार शामिल हुए|
संगोष्ठी का उद्घाटन भूतपूर्व एडवोकेट जनरल श्री आनंद मोहन माथुर जी ने किया तथा हिन्द मजदूर सभा के राष्ट्रीय महामंत्री श्री हरभजनसिंह सिध्दू जी, हिंमस के मध्यप्रदेश के अध्यक्ष हरिओम सूर्यवंशी, महामंत्री गोविन्दलाल शर्मा, रेल्वे म यु के श्रीवास्तव जी, श्रमिक जनता संघ के अॅड. अरुण गडकरी जी व अॅड. नितिन शिवकर जी, पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र में सक्रिय अॅड. विजय शर्मा, बर्गी बांध विस्थापित संघ के राजकुमार सिन्हा व किसान तथा श्रमिकों के प्रतिनिधी श्री राजकुमार दुबे, श्री देवेन्द्र तोमर, श्रीमती कमला यादव आदि ने इसे संबोधित किया|
विशेषज्ञों के रूप में अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय के, अर्थशास्त्र के प्राध्यापक व शाश्वत विकास केंद्र के प्रमुख श्री अमित बोसले; महाराष्ट्र नॉलेज कार्पोरेशन लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर श्री विवेक सावंत; टेक्सटाइल्स कार्पोरेशन ऑफ़ इंडिया के संयुक्त सचिव श्री अवधेश शर्मा व खादी, कपड़ा व रोजगार निर्माण के कार्य में सक्रिय वरिष्ठ पत्रकार श्री चिन्मय मिश्र ने भी अपना उद्बोधन दिया| इंदौर के भूतपूर्व सांसद श्री कल्याण दादा जैन, समाजवादी विचारधारा के हाटबाजार संघ के पदाधिकारी श्री रामबाबू अग्रवाल व भगवान दास कटारिया, समाजवादी फोरम के रामस्वरूप मंत्री जी ने सहभागिता की|
सामाजिक कार्यकर्त्ता मेधा पाटकर ने अपनी बात रखते हुए कार्यक्रम का संचालन किया|
वरिष्ठ अधिवक्ता श्री माथुर जी ने कहा कि भूमंडलीकरण की नीतियों के तहत देशी और विदेशी पूंजीपतियों ने देश की अर्थव्यवस्था पर कब्जा जमाकर यहाँ के रोजगार पर गम्भीर असर लाया है| पिछले 70 सालों से आर्थिक नीतियों में समाजवादी विचार का अभाव रहा और वह बढ़ता गया; जिसमें बुनियादी परिवर्तन लाने की जरुरत है| उन्होंने हुकुमचंद मिल के श्रमिकों के कानूनी संघर्ष में उनके मुफ्त योगदान के बावजूद, अधिवक्ता के नाते श्रमिक संगठन गहरा अनुभव बयान करते हुए कहा कि श्रमिक संगठनों में नैतिकता और इमानदारी हुए बिना श्रमिकों को न्याय प्राप्त नहीं हो सकता| उन्होंने सेंचुरी के श्रमिकों के संघर्ष की सराहना करते हुए कहा कि श्रमिकों ने स्वीकारी मिल्स चलाने की चुनौती महत्वपूर्ण है|
हिन्द मजदूर सभा के तथा अखिल भारतीय रेल्वे महासंघ के राष्ट्रीय महामंत्री हरभजन सिंह सिध्दू जी ने अपने जोशपूर्ण व प्रदीर्घ वक्तव्य के द्वारा श्रमिकों के अधिकार पर कड़े संघर्ष की जरुरत प्रकट की| आजादी आन्दोलन से स्वतन्त्र, स्वयंभू और दलीय राजनीतिक दबाव से मुक्त श्रमिक संगठन के रूप में हिन्द मजदूर सभा का इतिहास सामने रखते हुए उन्होंने 11 लाख रेल्वे श्रमिक व कर्मचारी जिसके सदस्य है ऐसे रेल्वे युनियन का अनुभव भी कथन किया| प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने जब विश्व बैंक से चर्चा करने पांच अधिकारीयों का दल भेजा था, तब “रेल्वे बेचने” की मांग पर साहूकारों को नकार देकर लौटे स्वाभिमानी अधिकारी की तारीफ की| उन्होंने कहा कि देश में जिन मुट्ठी भर पूंजीपतियों का राज है, उन्हें श्रमिकों के शोषण की पूरी छुट देने के लिए केंद्र की सरकार पिछले 5 सालों में श्रम कानूनों के जनविरोधी बदलाव लाने की कोशिश लगातार करती रही है| श्रमिक संगठनों ने उसे चुनौती देकर आज तक रोका है और 4 कोड्स (संहिता) लाकर श्रमिकों के कानूनी अधिकार ख़त्म करने की साजिश आगे भी रोकना जरुरी है| ठेका मजदूर, महिलाओं के, असंगठित क्षेत्र के सभी श्रमिकों के अधिकार पर जोर देते हुए, संघर्ष की जरुरत प्रकट की|
सिध्दू जी ने कहा कि शासकीय पदों पर भर्ती/ नियुक्ति पर पिछले कुछ सालों से लगी हुई रोक के कारण रेल्वे सहित कई संस्था-संरचना-सेवाओं में हाहाकार मचा हुआ है| ILO के आंतर्राष्ट्रीय ठरावों का पालन नहीं हो रहा है| बड़ी कम्पनियाँ, जैसे अडानी की सार्वजानिक उद्योगों को, देश-विदेश की खनिज सम्पदा को हड़पकर अपना मुनाफा बढाती जा रही है| 76 सार्वजनिक उद्योग बेचने की कगार पर हैं| करोडो रोजगार का, पिछले (2014) के चुनाव दौरान दिया आश्वासन खोखला साबित होकर, एकेक क्षेत्र में फेक्टरीज बंद पड़ी दिखाई दे रही है|
सेंचुरी के श्रमिकों के संघर्ष को पूरी साथ देने का आश्वासन देते हुए उन्होंने कहा कि उनकी रोजगार की मांग जायज है तथा मिल्स चलाने की चुनौती ऐतिहासिक साबित हो सकती है|
हरिओम सूर्यवंशी जी ने म.प्र. की हिन्दू महासभा से भी सेंचुरी के संघर्ष को साथ देने की घोषणा की|
अर्थशास्त्रज्ञ व ‘स्टेट ऑफ वर्किंग इंडिया’ रिपोर्ट के लेखक- शोधकर्ता श्री अनिल बसोले जी ने कहा कि ‘रोजगार के बाजार’ में अब इतना बदलाव आया है कि उच्चशिक्षित बेरोजगारों की संख्या देश में 25% हो चुकी है| निशुल्क शिक्षा, स्वास्थ्य की सेवा ही रोजगार की निश्चिती लाएगी, यह कहते हुए श्री बसोली जी ने मनरेगा के प्रति घटती राजनीतिक इच्छा शक्ति को लेकर चिंता व्यक्त की| NSSO की रिपोर्ट दबाने की राजनीतिक चाल, रोजगार की बुरी स्थिति वह संकट छुपाना चाहती है तो इस मुद्दे को देश के अजेंडे पर लाकर, रोजगार के लिए संघर्ष के साथ रोजगार सृजन और सही दाम की ओर निर्माण कार्य की जरूरत उन्होंने सामने रखी| वैश्विक अर्थव्यवस्था में रोजगार की quality घटती जाने के बारे में चिंता भी प्रकट की|
श्री चिन्मय मिश्र जी ने कहा कि रोजगार बचाना और बढ़ाना है तो गांधी विज्ञान और परंपरागत व्यवसाय तथा कुशलताओं पर जोर देना होगा| वैश्विक संस्थाओं की (जैसे विश्व बैंक, मुद्राकोष) गलत नीतियों के साथ संघर्ष में पूरा समय और योगदान केवल परिवर्तन नहीं लाएगा| परिवर्तन तो स्थानीय संसाधन व श्रमशक्ति के आधार पर निरंतर विकास के तहत रोजगार निर्माण से ही आ पाएगा|
श्री कल्याण दादा जैन ने कहा कि श्रमिक और पूंजीपतियों के बीच बढ़ती गैर बराबरी को रोककर, समता और समाजवादी अर्थव्यवस्था के द्वारा ही रोजगार सुनिश्चित हो सकता है|
एडवोकेट नितिन शिवकर जी ने हर उद्योग में प्रत्यक्ष श्रमिकों की संख्या घटाकर सुपरवाइजर्स- मैनेजर्स की संख्या बढ़ने की स्थिति चिंताजनक बताई| उन्होंने कहा कि ठेका मजदूरी बढ़ाने से हो रहा शोषण, उन संबंधी कानूनों की भी अवहेलना के साथ, बढ़ रहा है लेकिन राजनेताओं का आशीर्वाद ही उसका कारण है| जहां संघर्ष हुआ है जैसे महाराष्ट्र के माथाडी कामगार, वहां हासिल हुआ है अधिकार| शिवकर जी ने सेंचुरी श्रमिकों का संघर्ष, यूनियंस और मालिकों के गठजोड़ को चुनौती देगा, यह कहा| एडवोकेट अरुण गडकरी जी, श्रजसं की ओर से सेंचुरी श्रमिकों को पूर्ण सहयोग का आश्वासन प्रकट किया गया|
राजकुमार सिन्हा जी ने मध्यप्रदेश की ऊर्जा और कृषि क्षेत्र में बढ़ती गैर बराबरी और रोजगार के बीच का समीकरण उजागर किया| वन अधिकार कानून के पालन तथा रोजगार निर्माण के लिए सार्वजनिक क्षेत्र में निवेश और उसकी प्राथमिकता सामने रखी|
रोजगार विशेषज्ञ श्री विवेक सावंत जी ने विस्तृत विश्लेषण के साथ बताया कि farm, forest, factory, facility जैसे मूलाधारों पर अधिक ध्यान देकर रोजगार की सुरक्षा होगी| उसके साथ आधुनिक व्यवसाय में ज्ञान का उपयोग, software जैसी तकनीक के द्वारा भी फैल सकेगा, और पर्यावरण की रक्षा, वन अधिकार या कृषक अधिकार जैसे उद्देश्यों को भी प्राप्त करेगा, यह भरोसा, अनुभव के साथ, सहभागिता को दिया| उनके अनुसार जैविक विविधता मशीनीकरण में भी संतुलन आदि आधुनिक अर्थव्यवस्था में भी रोजगार बचाने और बढ़ाने के रास्ते उपलब्ध हैं; प्राथमिकताएं गलत होती है इसलिए बेरोजगारी बढ़ रही है| बुनियादी ज्ञान मुक्त और मुक्त होकर निरंतर विकास और कायामी अर्थव्यवस्था के लिए गांधीजी की संकल्पनाओं का पुरस्कार कर सकता है, यह विश्वास उन्होंने दिलाया| शिक्षा और स्वास्थ्य में अधिक पूंजी और ज्ञान निवेश पर जोर दिया|
मेधा पाटकर जी ने सेंचुरी के संघर्ष में श्रमिक संगठनों का अजनतांत्रिक व्यवहार और एक प्रकार की बेईमानी का अनुभव दु:खद बताते हुए कहा कि श्रमिकों का मालिकाना अधिकार जताना और कंपनियों की मनमानी रोकना एक चुनौती है| देश के 93% असुरक्षित रखे गए श्रमिक और सातवें वेतन आयोग के लाभार्थी श्रमिकों-कर्मचारियों के बीच की गैर बराबरी मिटनी चाहिए तथा सार्वजनिक उद्योगों को बचाने, उसमें विनिवेश को रोककर, वही रोजगार बढ़ाने की जरूरत प्रकट की| कृषि और प्रकृति निर्भर स्वयंरोजगार का खात्मा भयावह संकट लाएगा इसलिए इन समुदायों और व्यवसायों को बचाने के लिए संघर्ष और निर्माण बढ़ाने का संकल्प भी व्यक्त किया, जिसमें वैकल्पिक तकनीक और जनतंत्र तथा जन आंदोलनों की भूमिका महत्व की होगी|
श्री राजकुमार दुबे जी ने, सेंचुरी के श्रमिकों का संघर्ष एकता के साथ आगे बढ़ाने और हर अन्याय के खिलाफ लड़ने की श्रमिक जनता संघ की तैयारी जाहिर की|
सहभागियों ने एकमत से संकल्प पत्र के वाचने के बाद उसे सहमति देकर पारित किया| (प्रति संलग्न)
इस संगोष्ठी की सफलता के साथ ही मध्य प्रदेश में हिंद मजदूर सभा की विविध इकाइयां, श्रमिक जनता संघ के साथी तथा अन्य समविचारी श्रमिक व सामाजिक संगठनों के द्वारा रोजगार निर्माण, रोजगार सुरक्षा और श्रमिक अधिकार सुरक्षा के कार्य को आगे बढ़ाने पर भरोसा बढ़ा है|