देहरादून। भारत की प्राचीन व देवभूमि उत्तराखंड की द्वितीय राज्य भाषा संस्कृत में लिखे गये शहर के नाम को देहरादून रेलवे स्टेशन के बोर्ड से हटाकर उर्दू में लिखे जाने के इस अपमान के विरोध में संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार में लगे लोगों ने कड़ा ऐतराज जताते हुए रेलवे प्रबंधक का घेराव किया गया। इस संबंध में रेलवे प्रबंधक को एक ज्ञापन भी सौंपा गया।
गिरीश गैरोला
संस्कृत विद्यालय-महाविद्यालय शिक्षक संघ व अन्य सामाजिक संगठनों से जुड़े लोग देहरादून रेलवे स्टेशन पर एकत्रित हुए और रेलवे स्टेशन पर लगाए गए बोर्ड से संस्कृत में लिखा देहरादून नाम हटाकर उर्दू में लिखे जाने पर कड़ी आपत्ति जताई। उनका कहना था कि जब रेलवे बोर्ड पर देहरादून का नाम संस्कृत में लिख दिया गया था तो फिर संस्कृत में लिखे नाम को हटाकर उर्दू में क्यों लिखा गया। यह संस्कृत भाषा का अपमान है, जो कि बर्दास्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने रेलवे के क्षेत्रीय प्रबंधक का घेराव किया व उन्हें एक ज्ञापन सौंपा।
उन्होंने रेलवे निदेशक देहरादून को साइन बोर्ड पर संस्कृत भाषा को पुनर्सथापित करने के लिए ज्ञापन सौंपा। जिसमें 24 घण्टे के अंदर देहरादून का नाम पुनः संस्कृत भाषा में लिखने के लिए अल्टीमेटम दिया गया। इस अवसर पर संस्कृत विद्यालय महाविद्यालय शिक्षक संघ उत्तराखंड के प्रदेश अध्यक्ष डॉ राम भूषण बिजल्वाण का कहना है कि प्रदेश में द्वितीय राजभाषा संस्कृत है जिस कारण सभी शासकीय अर्ध शासकीय कार्यालयों रेलवे स्टेशनों में दूसरी भाषा के रूप में संस्कृत लिखा जाना विधि सम्मत है और इसीलिए लिखा भी गया है लेकिन कुछ ही दिन बाद देहरादून रेलवे स्टेशन का नाम संस्कृत को हटाकर उसके ऊपर उर्दू में लिखा गया जो अत्यंत निंदनीय है। इससे सम्पूर्ण संस्कृत जगत में रोष व्याप्त है। इस अवसर पर अखिल भारतीय परशुराम ब्राह्मण सभा के अध्यक्ष अरुण शर्मा, शिक्षक संघ के प्रदेश प्रचार मंत्री डॉ मुकेश खण्डूड़ी, डॉ शैलेंद्र डंगवाल, राम प्रसाद थपलियाल, डॉ सीमा बिजल्वाण, आचार्य मनोज शर्मा, नवीन भट्ट, लक्ष्मी उनियाल, कालिका प्रसाद आदि शामिल रहे।