राज्यमंत्री भगवत प्रसाद मकवाना का सख्त संदेश: “आउटसोर्स सफाई कर्मचारियों पर कार्रवाई से पहले मांगा जाएगा स्पष्टीकरण”
स्वच्छता योद्धाओं की सुरक्षा, सम्मान और अधिकारों को लेकर राज्यमंत्री ने नगर निगम को दिए कड़े निर्देश
देहरादून | 3 जून 2025:
उत्तराखंड राज्य सफाई कर्मचारी आयोग के उपाध्यक्ष (राज्यमंत्री दर्जा प्राप्त) भगवत प्रसाद मकवाना ने ऋषिकेश में नगर निगम की समीक्षा बैठक में साफ संदेश दिया कि आउटसोर्सिंग कर्मचारियों पर किसी भी कार्रवाई से पहले उनका स्पष्टीकरण लिया जाना अनिवार्य होगा। इसके साथ ही उन्होंने वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नति देने और कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने की सिफारिश करने के निर्देश दिए।

स्वच्छता सैनिकों के लिए नई पहल:
राज्यमंत्री ने सफाई कर्मचारियों की सुरक्षा, सम्मान और कल्याण के लिए नगर निगम प्रशासन को कई अहम निर्देश दिए:
- “मैन्युअल स्कैवेंजिंग एक्ट” की जानकारी न होने पर अधिकारियों को फटकार
- “नमस्ते योजना” के प्रभावी क्रियान्वयन का आदेश
- सीवर सफाई में लगे कर्मियों को पूर्ण सुरक्षा किट उपलब्ध कराने की हिदायत
- सफाई कर्मचारियों और उनके परिवारों के स्वरोजगार व शिक्षा हेतु ऋण योजनाएं लागू करने की योजना
- गोल्डन कार्ड व आयुष्मान भारत कार्ड के लिए 15 दिनों में विशेष शिविर लगाने का निर्देश
सामाजिक सम्मान:
इस अवसर पर राष्ट्रीय पावरलिफ्टिंग प्रतियोगिता (52 किग्रा वर्ग) में गोल्ड मेडल जीतने वाली वाल्मीकि समाज की प्रतिभावान छात्रा मुस्कान जिनवाल को फूलों की माला पहनाकर सम्मानित किया गया। यह पल न केवल एक खिलाड़ी का सम्मान था, बल्कि पूरे समाज की उपलब्धियों को सलाम करने का प्रतीक भी बना।
विकास को लेकर गहरी चिंता और स्पष्ट दृष्टिकोण:
बैठक में राज्यमंत्री मकवाना ने प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री की जनकल्याणकारी योजनाओं का शत प्रतिशत लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने पर बल दिया। उन्होंने आगामी बोर्ड बैठक में कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने और पद सृजन हेतु प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजने की बात कही।
महर्षि वाल्मीकि के नाम पर एक प्रमुख चौराहा बनाने के लिए भी नगर निगम को निर्देश जारी किए गए।
उपस्थित अधिकारीगण:
इस समीक्षा बैठक में आयोग के सदस्य राकेश पारचा, नगर आयुक्त शैलेन्द्र सिंह नेगी, सहायक आयुक्त, समाज कल्याण, जल संस्थान, पुलिस और स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।
🟢 राज्यमंत्री के ये कदम स्वच्छता योद्धाओं को सामाजिक और प्रशासनिक स्तर पर वह मान-सम्मान दिलाने की दिशा में एक अहम प्रयास हैं, जिसके वे सच्चे हकदार हैं।
