जमीन हमारी तो पाणी और मच्छी कैसे तुम्हारी?

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Ankit Tiwari

नवनिर्माण अभियाना के धडगाव स्थित कार्यालया में नर्मदा घाटी मछुआरा संमेलन आयोजित किया गया l इस संमेलन में अक्कलकुवा और धडगाव तालुके के अलग अलग गाँव के 150 प्रतिनिधियों ने सहभाग लिया l ‘देशभक्त लोग तुमुरा’ इस गीत से सियाराम पाडवी और उनकी टीम ने कार्यक्रम की शुरुआत की l नर्मदा नवनिर्माण अभियान और नर्मदा बचाओ आंदोलन ने आयोजित किए हुए नर्मदा घाटी मछुआरा संमेलना की प्रस्तावना दिनेश दामण वसावे सचिव, मणिबेली संस्था इन्हों ने की l जिसमें उन्हों ने कहां, “बाँध बाँध कर नर्मदा का पानी गुजरात ने लिया, अपनी जमीनें डुबाई और पूरा लाभ गुजरात ने लिया l मच्छीमारी का अपना हक हासिल करने के लिए हमें बहुत लड़ाई लड़नी, संघर्ष करना पड़ा

‘जहाँ जमीन डुबी हमारी,पाणी मछली कैसे तुम्हारी?’ ऐसा नारा देते हुए और अपना अधिकार लेते हुए आखिरकार बड़े संघर्ष के बाद हमारी ५ सहकारी संस्थाओं को महाराष्ट्र शासन को मंजूरी देनी पड़ी l यह मंजूरी २०१४से मिली और हमारी संस्थाओं का कारोबार शुरू हुआ और नर्मदा के जलाशय पर हक और अधिकार हमें मिला l हमनें लड़ के हासिल किया यह अधिकार हमें संभालना है और उसके लिए एकजुट हो कर एकता से रहना है l यह अधिकार हमें संभालना है, इसी लिए हम यह संमेलन ले रहे है l” मणिबेली, खर्डी खुर्द, शेलगदा, चिंचखेडी, थुवाणी, अठ्ठी, सावऱ्या दिगर, बामणी, मुखडी, डनेल इ. गाँवों के प्रतिनिधियों का स्वागत किया गया l
सियाराम पाडवी ने संस्था स्थापन करने का उद्देश्य और इतिहास सब के सामने रखा l


मछुआरा संमेलन की शुरुआत मध्य प्रदेश से आई हुई ३१ मछुआरा संघटनों की मुख्य प्रतिनिधी पिछोडी की शामा बहन, बिजासन गाँव के जितेंद्र भाई, बच्चू रामभाई, भारतभाई,बंगलोर से आए हुए धनुषभाई, सेंच्युरी मिल की प्रतिनिधी ज्योती भदाणे इन की प्रमुख उपस्थिति इस संमेलन में रही l
मछुआरों को संबोधित करते हुए मेधाताई ने कहां कि नर्मदा घाटी के आदिवासी विस्थापित मछुआरों को ही जलाशय में मत्स्यव्यवसाय का हक दिया जाना चाहिए, यह तत्व स्पष्ट है l इसी अधिकार का आग्रह करते हुए, संघर्ष के मार्ग से नर्मदा आंदोलन ने बर्गी जलाशय में 1996 में और सरदार सरोवर जलाशया में २०१३ में अपना हक हासिल किया है l इसके लिए महाराष्ट्र शासन के अनेक अधिकारियों ने सहयोग किया है l लेकिन सहकारी संस्था चलाने का प्रशिक्षण और बीजसंचय यह बात सब से महत्वपूर्ण है l इसी के साथ नर्मदा में अनेक बाँधो से छोड़े जानेवाले पानी का प्रमाण नियमित रहना चाहिए l आज नर्मदा का अविरत बहना बंद होने की वजह से मच्छीमारीपर इसका विपरीत परिणाम हुआ है l महाराष्ट्र शासन ने इसकी तुरंत दखल लेते हुए नर्मदा का मत्स्यव्यवसाय मत्स्यव्यवसाय सम्बन्धी सभी मत्स्यव्यवसाय समितियों के संघ को,करार कर के सौप देना चाहिए l
सहकारी संस्था के रूप में अपनी जिम्मेदारियाँ और कर्तव्यों के नियमों का वाचन ओरसिंग पटले ने और यह नियम समझाने का कार्य सियाराम पाडवी ने किया l संस्थाओं का चल रहा काम, आगे का नियोजन और रणनीति निश्चित की गई l सभी सहकारी संस्थाओं के अध्यक्ष, सचिव इन्हों ने अपना मनोगत व्यक्त करते हुए अपनी संस्था का कामकाज और लेखाजोखा सामने रखा l
सभी मछुआरा संस्थाओं के सभासदों ने संकल्प लेते हुए इस कार्यक्रम की सांगता हुई l

नर्मदा घाटी मच्छीमार संमेलन

संकल्प

· हम नर्मदा किनारे के मछुआरे पीढ़ियोंके निवासी है |

· यहाँ का जल और जलसंपदा हमारी आजीविका का साधन है |

· नर्मदा, माँ रेवा, मैकलसुता हमारे जीवन का आधार है |

· हमने आजतक मत्स्याखेतमे मेहनत की | पूंजी लगाकर लाभ पाया है |

· हम, पीढ़ियों तक मछली बचे और बढे, इस तरह काम करते आये है और करेंगे |

· हम, सहकारी समितियाँ गाव, सदस्योंके सहकार व सहयोगसे चलाएँगे |

· हम, सरदार सरोवर जलाशय में ठेकेदारी नहीं आने देंगे |

· हम, सदस्योंका अधिकार,संचालकों का कारोबार और समाज के सहयोग को आधार मानेंगे |

· हम, हर समिति का लेखा जोखा हर दिन, हर पल व्यवस्थित रखेंगे |

· हमारी समिति, हम भ्रष्टाचार से,अन्याय से मुक्त रखेंगे |

· हमारा जल, हमारी नदी, हमारी मछली हम प्रदूषित नहीं होने देंगे |

· सरदार सरोवर पूंजीपति, राजनेताओं की जागीर नहीं मानेंगे हम |

· हमारी जलभूमी का विकास हम खुद करेंगे |

· हम लडे है, जीते है, अब निर्माण मे लगे है |

नर्मदा मत्स्यव्यवसाय सहकारी समिति संमेलन,

अप्रैल २५, २०१९, धडगाव,नंदुरबार, महाराष्ट्र.

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