देहरादून। दिल्ली के निर्भया मामले में मुख्य मूमिका निभाने वाली समाजसेविका योगिता भयाना ने हरिद्वार शांतिकुंज के डा. प्रणव पांडया प्रकरण में उत्तराखण्ड सरकार पर आरोपियों को संरक्षण देने के आरोप लगाते हुए सीबीआई जांच की मांग की है।
उत्तरांचल प्रेस क्लब में एक पत्रकार वार्ता के दौरान उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ की इस पीड़िता ने बीते पांच मई को दिल्ली के विवेक विहार थाने में गायत्री परिवार शांतिकुंज प्रमुख डॉ. प्रणव पंड्या और उनकी पत्नी शैलबाला के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। पीड़िता का आरोप है कि वर्ष 2010 के दौरान जब वह नाबालिग थी, उस दौरान शांतिकुंज में डॉ. पंड्या ने उसके साथ दुष्कर्म किया और इस बारे में बताने पर उनकी पत्नी शैलबाला ने मुंह बंद रखने की धमकी दी। आरोप है कि कई बार उसके साथ दुष्कर्म किया गया। वह शांतिकुंज प्रमुख की सेवा कार्य में जुटी रहने वाली टीम का हिस्सा थी। योगिता भयाना ने कहा कि पीड़िता ने हरिद्वार पहुंचकर न्यायालय में अपने बयान दर्ज कराए थे। पुलिस टीम ने भी युवती को शांतिकुंज ले जाकर मामले की पड़ताल भी की थी परंतु उसके बाद भी पांडया को गिरफतार नहीं किया गया। योगिता का आरोप है कि इतने संगीन आरोपों के बाद भी पुलिस उसके रसूख के झुक गई और उसे गिरफतारी का स्टे लाने की मोहलत मिल गई ।
योगिता ने कहा कि हद तो तब हुई जब उत्तराखण्ड सरकार के एक कैबिनेट मंत्री के पुत्र ने पांडया के केस को लड़ने का फैसला लिया जिसके बाद पांडया को सरकार का भी संरक्षण मिल गया। उन्होंने कहा ऐसे में इस पीड़िता को न्याय मिलना तो दूर उसकी जान को भी खतरा हुआ है, पीड़िता को लगातार सीधे सीधे पांडया और उनके चमचों से धमकियां मिल रही है जिसकी रिकॅडिंगस भी मौजूद है। जिस कारण वे भारत सरकार से इस मामले में सीबीआई जांच की मांग करते है। जिसके लिए उन्होंने एक पत्र देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी लिखा है। योगिता का कहना है कि पीड़िता इस घटना और न्याय न मिलने के कारण मानसिक और शारीरिक रूप से बहुत निर्बल हो गई है। उन्होने आरोप लगाया कि इससे पहले भी आश्रम में एक युवती की संदिग्ध रूप से मृत्यु हुुई थी। वहीं पीड़िता ने भी बताया है कि अन्य लड़कियों के साथ भी इसी तरह से दुष्कर्म किया जाता है। जिसमें सीबीआई जांच अनिवार्य हो जाती है। मौके पर पीड़िता के वकील एडवोकेट चेतन सिंह एव पीडिता के परिवार से मनमोहन सिंह मौजूद थे।