जड़ी बूटियों की आयी याद, कुटकी जडी बूटी महोत्सव
देवेंद्र रावत चमोली
हिमालय की त्रिसूली और नंन्दा घुंघटी की तलहटी में बसे देवाल ब्लाक के सीमांन्त गांव घेस में जड़ी बूटियों के संरक्षण, संवर्धन एवं विपणन के लिए कुटकी जडी बूटी महोत्सव का आयोजन किया गया। कुटकी जडी बूटी महोत्सव में मुख्य अतिथि के रूप में केन्द्रीय मंत्री आयुष श्रीयुत श्रीपदनायक तथा विशिष्ट अतिथि के रूप मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने प्रतिभाग कर क्षेत्र के लोगों को प्रोत्साहित किया। महोत्सव में स्थानीय महिलाओं ने पारम्परिक भेषभूषा में मांगल गीत गाकर अतिथियों का स्वागत किया। घेस में जड़ी बूटी के जरिये स्थानीय लोगों की आर्थिकी के तंत्र को मजबूती प्रदान करने के लिए पहल शुरू की गई है। इसी के तहत घेस में कुटकी जड़ी बूटी महोत्सव का आयोजन किया गया। जिसमें कुटकी के महत्व पर विचार विमर्श करते हुए इसके उत्पादन, संवर्धन व विपणन के लिए ठोस नीति तैयार करने पर जोर दिया गया, ताकि कुटकी के उत्पादन से जुड़े सीमांत क्षेत्र के किसानों को इसका लाभ मिल सके।
केन्द्रीय मंत्री, आयुष, श्रीपदनायक ने सीमांत गांव घेस वासियों को संबोधित करते हुए कहा कि आज देश विदेश में औषधीय पौधों की लगातार डिमांड बढती जा रही है। कहा कि विषम परिस्थितियों में रहकर यहाॅ के लोग बेस कीमती जड़ी बूटियों का उत्पादन कर रहे है। उन्होंने क्षेत्र में जड़ी बूटियों के उत्पादन व विपणन के लिए आयुष की ओर से हर सम्भव सहायता उपलब्ध कराने को भरोसा दिलाया।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा घेस राज्य का दूरस्थ गांव है और इन दूरस्थ गांवों का विकास करना सरकार की जिम्मेदारी है, क्योकि इन दूरस्थ गांवों के विकास के लिए ही उत्तराखण्ड राज्य का निर्माण हुआ था। कहा कि ऐसे गांवों में भविष्य की जरूरतों के हिसाब से योजनाऐं तैयार की जानी चाहिए। उन्होंने सीमांत गांव घेस, बलाण और हिमनी के विकास हेतु डीपीआर तैयार करने के निर्देश जिलाधिकारी व मुख्य विकास अधिकारी को दिये। ताकि सीमांत क्षेत्र के गांवों का नियोजित ढंग से विकसित कर माॅडल गांव के रूप में विकसित किया जा सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि कीडी जड़ी दोहन और व्यवसाय के लिए कानूनी जामा पहनाकर कीडा जड़ी दोहन के लिए नीति तैयार की गई है। कहा कि अब कीडी जडी से जुड़े काश्तकारों को कानूनी उलझनों का सामना नही करना पडे।
क्षेत्र के लोगों की जड़ी बूटी उत्पादन के लिए आॅगेर्निक भूमि प्रमाण पत्र उपलब्ध कराने के मांग पर सीएम ने कहा कि आॅगेर्निक लैण्ड सर्टीफिकेट के लिए पूरी प्रक्रिया में तीन वर्ष का समय लगता है। उन्होंने क्षेत्र के किसानों को कुटकी जड़ी बूटी उत्पादन के लिए आॅर्गेनिक भूमि प्रमाण पत्र उपलब्ध कराने की घोषणा की। कहा कि शीघ्र ही इसके लिए कार्य किया जायेगा। इस दौरान मुख्यमंत्री ने दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण ज्योति योजना एवं सौभाग्य योजना के अन्तर्गत घेस में विद्युतीकरण कार्य लागत 4.00 लाख, जल निगम की सरमाता घेरू घन्ना पेयजल योजना लागत 74.86 लाख, राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय घेस लागत 49.30, कृषि विपणन केन्द्र घेस लागत 20.00 लाख तथा जड़ी बूटी ड्राइंग शैड लागत 2.25 लाख की विकास योजनाओं का लोकापर्ण भी किया। कार्यक्रम के दौरान सीएम ने बिजली का बटन दबाकर सीमांत गांव घेस को बिजली की सौगात दी।
पहाड़ों में कुटकी जड़ी बूटी का उपयोग परम्परागत रूप से अतिसार तथा आमतिसार की औषधि के रूप में किया जाता है। यह लीवर तथा पैत्रिक तन्त्र के दोषों की चिकित्सा हेतु वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान स्थापित कर रही है। इसके विभिन्न उत्पादों का उपयोग अनेक उदर विकारों के लिये किया जा रहा है। कुटकी कई आयुर्वेदिक औषधियों में भी मुख्य घटक है। दूनागिरि फाउण्डेशन संस्था के विवेक दीवान ने बताया कि राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड ने औषधीय पौधों की खेती करने वाले किसानों के लिए ‘‘ई-चरक’’ वेबसाईट तैयार की है, जिसमें किसान अपने फसल के बारे में पूरी जानकारी अपलोड करेगा और इसी वेबसाईट के माध्यम से किसान को अपना खरीददार भी मिल जायेगा। उत्तरांचल यूथ एण्ड रूरल डेवलपमेंन्ट सेन्टर के डा0 हरपाल नेगी ने बताया कि घेस में कुटकी के उत्पादन व विपणन के लिए कामगार स्वायत सहकारिता बनायी गयी है। कहा कि कुटकी महोत्सव का उदेश्य कुटकी उत्पादन से जुड़े काश्तकारों को इसका वास्तविक लाभ पहुॅचाना है।
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ईस दौरान क्षेत्रीय विधायक मुन्नी देवी शाह, ब्लाक प्रमुख देवाल उर्मिला बिष्ट, नवनिर्वाचित नगर पंचायत अध्यक्ष दीपा भारती, प्रधान घेस नरेन्द्र बिष्ट, अमेरिका के एरोनोटिकल वैज्ञानिक प्रशांति दिजागर, वैज्ञानिक विजय कांन्त पुरोहित, डा0 अनिल कुमार, अर्जुन सिंह बिष्ट, महिला मंगलदल अध्यक्षा जशोदा देवी व नंदी देवी सहित डीएम स्वाति एस भदौरिया, एसपी तृप्ति भट्ट, सीडीओ हसांदत्त पांडे सहित अन्य संबधित विभागीय अधिकारी व स्थानीय जनता मौजूद थे।