विंटर टूरिज्म पर्यटन की नई सूरूवात।
गिरीश गैरोला
देवभूमि उत्तराखंड आध्यत्म और धार्मिक पर्यटन के अलावा एडवेंचर टूरिज्म के लिए जाना जाता है। आमतौर पर लोग इसे अप्रैल से सितंबर तक चार धाम दर्शन के लिए ही जानते है किंतु प्रकृति के शौक़ीन लोग ऑफ सीजन में जब सड़के बर्फ से ढकी होती है उस वक्त इन स्थलों को देखने के जज्बे के साथ घरों से निकलते है और अपने मानस पटल पर कभी न मिटने वाली तस्वीर अंकित कर ले जाते है उनके उस आनंद को शब्दों में कभी बया नही किया जा सकता है पर उनके साथ ट्रिप पर उसे खुद महसूस जरूर किया जा सकता है।
आजकल युवा नौजवान स्नो बाइकिंग स्नो साइकिलिंग और फोर बाय फोर एसयूवी को लेकर निकल रहे है इन युवाओं को कोई सुविधा नही चाहिए बस सड़क खुली हो और पेट भरने लायक सिंपल खाना मिल जाय।
मौसम विभाग से जानकारी लेकर युवा जनवरी में बाइक और एसयूवी से बद्रीनाथ और गंगोत्री का एडवेंचर लेते है। इसके अलावा उत्तरकाशी जनपद के चीन सीमा से लगा हुआ नेलांग बॉर्डर भी पर्यटको के लिए खुल गया है जल्द ही इसमें एक और आगे कदम बढ़ाते हुए सरकार यहां इनर लाइन परमिट को समाप्त कर यहाँ फारेस्ट से एक कैंटीन खुलवाने पर विचार कर रही है ताकि ऑफ सीजन में आने वालों को खाना मिल सके।
इस अभियान में लगे तिलक सोनी कहते है कि सरकार केवल आधारभूत सुविधा जुटा सकती है बाकी पर्यटन कैसे बढ़े इसके लिए लोगो को खुद ही आगे आकर पहल करनी होगी।
उन्होंने बताया कि निलोंग बॉर्डर में तिब्बती पठार का कुछ अंश देखने को मिलता है जिसे देखने के लिए पर्यटक ढाई हजार किमी दूर लेह -लददाख या लाहौल स्फीति जाते है वही उन्हें नेलांग बॉर्डर में देखने को मिलता है। हालांकि सर्दियों में स्थानीय लोग बर्फवारी के बाद ऊपरी इलाको को छोड़ कर निचले इलाकों में चले आते है किंतु यदि स्थानीय लोग धराली, हरसिल और गंगोत्री में कुछ होटल ऑफ सीजन में भी खुले रखे तो पर्यटन का नया अध्याय सुरु हो सकता है।
तो देर किस बात की जीवन का मजा लीजिए और बनाइये एक ट्रिप।
एक बार आप वीडियो देख लेंगे तो फोन जरूर करेंगे ये हमारा वादा है।