दैवी आपदा के प्रकोप को शिव नगरी उत्तरकाशी में पुनर्जीवन देने वाले सिंचाई विभाग के अभियंता काशी नगरी में रहते गंगा जल की तरह पवित्र रहे किन्तु हरिद्वार में जाते ही उसमें ऐसी क्या मिलावट हो गयी कि उन्हें निलंबन झेलना पड़ा। इसे उत्तराखंड सरकार का हल्का पन कहे या कुम्भ पर केंद्र सरकार का दबाव? कुछ भी हो छुरा तरबूज पर गिरे या तरबूज छुरे पर कटना तो तरबूज को ही है।
गिरीश गैरोला
प्रेम सिंह पंवार उत्तरकाशी जिले में वर्ष 2012 -13 की आपदा में उत्तरकाशी को न सिर्फ बचाने का काम कर रहे थे बल्कि सजाने संवारने में भी लगे थे निर्माण कार्य मे उनकी लगन और मेहनत को देखते हुए गंगोत्री विधानसभा के तत्कालीन और वर्तमान दोनों विधायको का उन पर आशीर्वाद बना रहा, यही वजह रही कि उत्तरकाशी से जे ई से अपना सफर सुरु कर के वाले अभियंता सहायक अभियंता से अधिशाषी अभिंयता और फिर वही से अधीक्षण अभियंता पद पर प्रमोट हो गए।
गंगा के उदगम गंगोत्री उत्तरकाशी में गंगा जल की तरह निर्मल अविरल बेदाग रहने के बाद अचानक ही हरिद्वार में जाकर गंगा के पानी की तरह इंजीनियर के कार्य मे भी ऐसी क्या मिलावट हो गई कि उन्हें विभागीय कार्यवाही झेलनी पड़ी।
गंगा प्रदूषण को लेकर जब सीमांत जनपद में परियोजनाओं को निर्माण की सुगबुगाहट होती है तो लोग अक्सर यही कहते है कि अपने उदगम उत्तरकाशी जिले में ही नही पहाड़ के पूरे सफर में गंगा स्वच्छ ही है , हा इतना जरूर कहा जाता है कक मैदान सुरु होते ही हरिद्वार ऋषिकेश में गंगा में प्रदूषण बढ़ जाता है, अब मैदान में जाते ही अधिकारियों में भी मिलावट आ जाये तो क्या कह सकते हैं।
मिली जानकारी के अनुसार कुंभ मेले में निर्माण में तय सीमा से पहले ही टेंडर आवंटन के मामले में उनपर विभागीय कार्यवाही हो गयी।
गौरतलब है कि
कुंभ के कार्यों में लापरवाही बरतने पर
सिंचाई विभाग के 3 इंजीनियर को निलंबित किया गया है।
जिनमे प्रेम सिंह पंवार अधीक्षण अभियंता सिंचाई कार्य (पुनर्वास) मंडल ऋषिकेश ,
पुरुषोत्तम अधिशासी अभियंता सिंचाई खंड हरिद्वार
शरद श्रीवास्तव अधीक्षण अभियंता देहरादून को निलंबित। किया गया
कुंभ कार्यों में लापरवाही और लेटलतीफी बरतने के चलते ही यह कार्रवाई की गई।
मामला व्यंग में लेकर हंसने का नही है गौर करने का है कि चूक किधर हो गयी, अपने कॉमेंट्स बॉक्स में जरूर लिखे हमे इंतज़ार रहेगा।