क्या पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत आपदा में भी अवसर तलास रहे है ?
क्या सीएम आपदा से निपटने के तरीके समझा रहे है ?
क्या पूर्व सीएम के अनुभव को राज्य सरकार से दर किनार कर दिया ?
क्या त्रिवेन्द्र रावत सीएम पद से खुद को हटाये जाने से अभी तक नाराज है ।
क्या त्रिवेन्द्र रावत धामी सरकार की क्षमता पर सवाल उठा रहे है ?
आपदा मे अवसर तलाशते हुए एक बार फिर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपनी ही सरकार पर, अपने ही मुख्यमंत्री पर इशारों ही इशारों में फिर से तंज कसा है
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने एक बार फिर से अपने ही सरकार पर सवाल उठाए हैं। अपने ही पार्टी के नेताओं पर सवाल उठाए हैं । नाम भले ही उन्होंने किसी का नहीं लिया लेकिन इशारों ही इशारों में त्रिवेंद्र रावत ने बहुत सारी बातें स्पष्ट कर दी।
उन्होंने अपने ही एक फैसले का जिक्र किया है जिसे धामी सरकार ने पलट दिया था। पुष्कर सिंह धामी जब पहली बार मुख्यमंत्री बने थे उस वक्त उन्होंने त्रिवेंद्र रावत के इस फैसले को बदल दिया था जिसमें बहुत सारे सवाल उठे थे और जिस पर विवाद भी हुआ था, कहा तो यह भी जाता रहा है कि त्रिवेंद्र रावत को हटाने की एक वजह यह भी रही थी ।
देवस्थानम बोर्ड के पक्ष मे त्रिवेंद्र रावत ने अपनी सरकार के दौरान और बाद मे भी कई बातें कहीं लेकिन आखिरकार धामी सरकार ने इस फैसले को पलट ही दिया
त्रिवेंद्र रावत का ये दावा कि अगर देवस्थानम बोर्ड होता तो आज बोर्ड की इनकम से ही जोशीमठ के आपदा पीड़ितो को सुरक्षित जगह बिस्थापित किया जा सकता था, और किसी से बजट मांगने की जरूरत नहीं पड़ती । त्रिवेन्द्र के बयान मे उनका दर्द भी झलकता है और वे ये बताने की कोशिश भी कर रहे हैं कि कैसे उन्होंने एक सोच के तहत वह फैसला लिया था जिसको माना नहीं गया, क्योंकि बीजेपी में एक्ट का बहुत विरोध हुआ था । अजय भट्ट, हरक सिंह रावत समेत तमाम कई बड़े नेताओं ने भी देवस्थानम बोर्ड का विरोध किया था और खुले तौर पर यह कहा था किस को भंग होना चाहिए । जब धामी मुख्यमंत्री बने तब उन्होंने एक कमेटी बनाने का फैसला किया और उसी कमेटी के सुझाव पर 2022 के विधानसभा चुनाव से ऐन वक्त पहले उस देवस्थानम बोर्ड को भंग कर दिया गया ।
तब से लेकर लगातार त्रिवेन्द्र रावत के मन में ये सवाल है जो यदा कदा बयानो कि शक्ल मे बाहर निकलते है । आज जोशी मठ आपदा के बाद फिर त्रिवेन्द्र कहते हैं कि देवस्थानम बोर्ड होता तो ये फायदा हो सकता था >
त्रिवेंद्र रावत देवस्थानम बोर्ड के फायदे जरूर बिना रहे हैं लेकिन उनकी ही सरकार ने उनके ही पार्टी की सरकार ने उन फायदों को
नजरअंदाज कर दिया और जिस तरीके से उस देवस्थानम बोर्ड भंग किया गया उसके बाद से ये सवाल त्रिवेंद्र रावत के मन में रहे है और जोशीमठ आपदा को लेकर अब वे सुझाव भी देने लगे हैं
जोशीमठ के लोगों को जोशीमठ में ही बसाया जाए लेकिन वैज्ञानिकों की सलाह के आधार पर, और पुख्ता ट्रीटमेंट करने के बाद।
यह सलाह अब त्रिवेंद्र रावत मुख्यमंत्री धामी को दे रहे हैं उनकी सलाह को सरकार कितना मानेगी सीएम कितना तवज्जो देंगे यह तो कहा नहीं जा सकता क्योंकि जोशीमठ के हालात अभी भी विकट हैं, संकट अभी वहाँ टला नहीं है और उन चुनौतियों के बीच जब त्रिवेंद्र रावत याद दिला रहे हो, देवस्थानम बोर्ड कि – तो बीजेपी के अंदर सियासत गर्म होना तय है आगे क्या होगा इसके लिए आपको अगले विडियो का इंतजार करना होगा