🚨 बिछड़ी उम्मीदें… पुलिस ने मिलाए रिश्ते!
“मित्रता, सेवा, सुरक्षा” का असली चेहरा बनी दून पुलिस
ऋषिकेश | 19 जुलाई 2025
नीलकंठ यात्रा से लौटते वक्त तीन बुजुर्ग महिलाएं अपने साथियों से बिछड़ गईं। कोई सहारा नहीं, कोई ठिकाना नहीं, न मोबाइल नंबर याद और न ही गांव की पूरी जानकारी… लेकिन जहां उम्मीद छूटती है, वहीं उत्तराखंड पुलिस अपना फर्ज निभाती है।

नटराज चौक पर मिला असहाय अकेलापन
घबराई आंखें, थके कदम और डरी हुई आवाज़ें — नटराज चौक के पास पुलिस को तीन बुजुर्ग महिलाएं लाचार हालत में मिलीं।
पुलिस ने उन्हें प्रेमपूर्वक पास के बूथ में बैठाया, पानी और जूस पिलाया और धैर्य से उनकी कहानी सुनी।
“हम सिर्फ दर्शन को आए थे…”
महिलाओं ने अपने नाम मेवा, बतासी और मिश्री बताए। वो हरियाणा के नौरंगाबाद गुर्जरों की ढाणी, तिलोड़ी गांव से 11 महिलाओं के साथ आई थीं।
नीलकंठ दर्शन के बाद भारी भीड़ के चलते ये तीनों अपनी टोली से बिछड़ गईं।
पहचान नहीं, पता नहीं… फिर भी पुलिस नहीं झिझकी
तीनों बुजुर्ग महिलाएं अनपढ़ थीं। उन्हें अपने गांव का जिला, थाना और मोबाइल नंबर भी ठीक से याद नहीं था।
तब पुलिस ने टेक्नोलॉजी का सहारा लिया — गूगल पर गांव खोजा, थाने से संपर्क किया और गांव के सरपंच तक पहुंच बनाई।
जब टेक्नोलॉजी से मिला इंसानियत का हाथ
सरपंच की मदद से ड्राइवर का नंबर मिला, पता चला कि पूरी टोली उन्हें खोज रही थी लेकिन वे भी गाड़ी का ठिकाना भूल चुके थे।
फिर, लोकेशन ट्रेस हुई — IDPL पार्किंग। तुरंत पुलिस ने अपनी गाड़ी भेजकर तीनों बुजुर्ग महिलाओं को वहीं ले जाया।
मिलन के उस पल में भीग गईं आंखें…
साथियों से मिलते ही तीनों बुजुर्ग महिलाएं भावुक हो उठीं।
“बेटा, भगवान तुम्हें खुश रखे…”
कहते हुए उन्होंने पुलिसकर्मियों के सिर पर हाथ फेर दिया।
वो आशीर्वाद, शायद हर वर्दीधारी के लिए सबसे बड़ा मेडल होता है।
🌟 एक पुलिस जो सिर्फ सुरक्षा नहीं, सहारा भी है
उत्तराखंड पुलिस ने सिर्फ ड्यूटी नहीं निभाई, मानवता की मिसाल पेश की।
“जहाँ परिवार छूट जाए, वहाँ पुलिस हाथ थाम ले — यही है सच्ची सेवा।”
🙏 एक सबक, एक संदेश
भीड़ में सिर्फ लोग नहीं बिछड़ते, भरोसे भी खो जाते हैं।
लेकिन जब पुलिस भरोसे की डोर थाम ले — तो रिश्ते फिर से जुड़ जाते हैं।
