उत्तराखंड की शतरंज पर अटल कि चाल चलते तीरथ – 2022 तक या उससे भी आगे

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विधानसभा चुनाव 2022 ही सही उत्तराखंड में सार्थक परिवर्तन का दौर नजर आने लगा है | एक दौर में जब अपनी ही दल के विधायक सरकार से नाराज चल रहे थे वही अब विपक्ष के विधायकों को न सिर्फ सम्मान मिल रहा है बल्कि उनसे विधानसभा के विकास कार्यो को लेकर राय सुमारी भी कि जा रही है | अगर यह सर बीजेपी कि यात्रा को अगले चुनाव कि पायदान तक ले जाने तक सीमित है तो फिर ये सामान्य राजनीती का हिस्सा कही जा सकती है किन्तु यदि बीजेपी के सीएम ने इसे अपनी कार्य शैली में स्थान दिया तो कांग्रेसी नेता एनडी तिवारी के बाद ये दूसरा प्रयोग माना जा सकता है |

मुख्यमंत्री केवल बीजेपी का नही होता बल्कि राज्य का होता है, इस बात को आज मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने चरितार्थ कर दिया है.

सीएम तीरथ ने आज विपक्ष के विधायकों से मिलने का सिलसिला शुरू कर दिया है. इसी क्रम में सबसे सुदूर सीमांत क्षेत्र धारचूला के कांग्रेस विधायक हरीश धामी से उनके विधानसभा क्षेत्र की समस्याओं पर चर्चा की. लोकतंत्र में विपक्ष को भी साथ लेकर चलना जरूरी होता है. इसलिए मुख्यमंत्री आने वाले दिनों में विपक्ष के अन्य विधायको से उनके गृह क्षेत्रो के फीडबैक लेंगे.

आपको बताते चलें  कि पूर्ववर्ती त्रिवेंद्र सरकार में विपक्षी विधायकों द्वारा उनके विधानसभा क्षेत्रों में मुख्यमंत्री द्वारा विकास योजनाओं एवं मुख्यमंत्री राहत  कोष से सहायता न देने के लगातार आरोप लगाए थे,  अब तीरथ रावत सरकार ने विपक्ष के विधायकों के क्षेत्रों में लंबे समय से जनहित की समस्याओं हल करने की कवायद शुरू कर दी है इससे पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी ने उत्तराखंड में सबसे पहले यह परंपरा शुरू की थी. एनडी तिवारी अपनी पार्टी के विधायकों के साथ ही विपक्ष के विधायकों के क्षेत्रों की विकास योजनाओं से जुड़े महत्वपूर्ण निर्णायक से लिया करते थे. अब एक बार फिर से तीरथ रावत के इस सकारात्मक रवैए से सत्ता पक्ष के साथ ही विपक्ष के विधायकों की भी उम्मीदें बढ़ गई है.

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