मुम्बई/देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा है कि उत्तराखण्ड, वैलनेस और आयुष क्षेत्र के लिए निवेश के पसंदीदा स्थल के रूप में उभर रहा है। ऋषिकेश “योग की राजधानी“ के रूप में जाना जाता है। राज्य सरकार द्वारा आयुष एवं वैलनेस तथा पर्यटन को उद्योग का दर्जा दिया गया है। मुख्यमंत्री ने उत्तराखण्ड वैलनेस समिट-2020 के लिए मंगलवार को मुम्बई में आयोजित रोड शो में प्रतिभाग किया।
गिरीश गैरोला
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार की प्राथमिकता अपनी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत को मजबूती प्रदान करते हुए क्षेत्र में पुरातन एवं सांस्कृतिक मूल्यों को पुनर्स्थापित करना है। जड़ी-बूटियों और औषधीय पौधों से सम्बन्धित उद्योग, पर्वतीय क्षेत्र में रोजगार के अवसर प्रदान कर सकते हैं। राज्य में 20 हजार से अधिक योग प्रशिक्षक हैं। राज्य में योग को पर्यटन से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने सम्मेलन में उपस्थित उद्योग एवं व्यवसाय जगत के लोगों का स्वागत करते हुए कहा कि देश की आर्थिक राजधानी में उत्तराखण्ड राज्य का प्रतिनिधित्व करना प्रसन्नता और सम्मान की बात है। उत्तराखण्ड राज्य ने ‘‘देव-भूमि’’ को धार्मिक पर्यटन के साथ-साथ औद्योगिक हब के रूप में विकसित करने के लिए कई सार्थक कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा कि पृथक राज्य के रूप में अस्तित्व में आने के बाद उत्तराखण्ड, कई विशिष्ट क्षेत्रों के हब के रूप में विकसित हुआ है। राज्य में बढ़ते उद्योगों और आधुनिक आधारभूत संरचना, प्राकृतिक संसाधनों की उपलब्धता तथा उद्यमशील युवा सोच की बढती संख्या का अद्वितीय पूरक मिश्रण है। राज्य लगातार विकास की ओर अग्रसर है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्यावरणीय क्षरण एवं जीवन शैली में परिवर्तन से अनेक स्वास्थ्य सम्बन्धी व्याधियों का समाना करना पड़ रहा है। पारम्परिक चिकित्सा पद्वति आयुर्वेद, योग एवं आध्यात्म को अपनाकर इन समस्याओं का निदान कर सकते हैं। उत्तराखण्ड में जो सम्भावनायें हैं, उनका दोहन कर राज्य के आर्थिक विकास को बढ़ावा दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि आज विश्वभर में चिकित्सा क्षेत्र के स्थान पर वैलनेस सैक्टर बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है। लोग बेहतर स्वास्थ्य और जीवन यापन को प्राथमिकता दे रहे हैं। प्राचीन काल से ही भारत का का ज्ञान विश्वप्रसिद्ध है। समय के साथ देश-विदेश के लोग आयुर्वेद, योग, ध्यान और प्राकृतिक चिकित्सा की ओर आकृषित हो रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत एक विशाल सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विविधता वाला देश है और उत्तराखण्ड इस सम्बन्ध में एक विशेष स्थान रखता है। गंगा, अलकनंदा, भागीरथी, मंदाकिनी जैसी पवित्र नदियाँ, हिमालय, प्राकृतिक सौन्दर्य एवं सभी धर्मों के पवित्र स्थल सहित प्रसिद्ध पर्यटन स्थल आगंतुकों को आकर्षित करते हैं। उत्तराखण्ड के चारधाम केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री राज्य के विकास स्तंभ हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य ने ‘ईज ऑफ डुईंग बिजनेस’ पहल के माध्यम से आवेदन प्रक्रियाओं का सरलीकरण एवं प्रौद्योगिकी के प्रयोग से, इसमें लगने वाले समय को कम किया है। राज्य में एकल खिड़की व्यवस्था, व्यवासाय की स्थापना और संचालन के लिए अपेक्षित सभी लाईसेंस और अनुमोदनों के ‘‘वन स्टॉप शॉप’’ के रूप में प्रारम्भ की गयी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उद्योग और पर्यटन राज्य के इकोनॉमिक ड्राइवर और रोजगार प्रदाता हैं। देहरादून में समर्पित रिलेशनशिप मैनेजर्स और व्यापक शिकायत निवारण तंत्र युक्त एक इनवेस्टमेंट प्रोमोशन एंड फेसिलीटेशन सेंटर की स्थापना की गयी है। उत्तराखण्ड सरकार राज्य में पर्यटन एवं आतिथ्य, आयुष एवं वैलनेस, फिल्म शूटिंग, पुष्प कृषि एवं औद्यानिकी, नेचुरल फाइबर के साथ-साथ विनिर्माणक क्षेत्र के अन्तर्गत सौर ऊर्जा, जैव प्रौद्योगिकी, ऑटोमोबाइल्स, फार्मा, सूचना प्रौद्योगिकी, खाद्य प्रसंस्करण आदि के लिए एक मजबूत तंत्र का निर्माण कर रही है। राज्य में चार-धाम यात्रा को सुगम बनाने के लिए ऑल वेदर रोड़ तथा ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलमार्ग के निर्माण का कार्य प्रगति पर है। देहरादून को देश के बड़े शहरों को जोड़ने के लिए जौलीग्रान्ट एयरपोर्ट के विस्तारीकरण का कार्य प्रगति पर है। पन्तनगर एयरपोर्ट के विस्तार की भी योजना है, जिससे पर्वतीय क्षेत्र की आर्थिकी को बढ़ावा मिलने के साथ-साथ आवागमन में भी आसानी होगी। राज्य सरकार ने हाल ही में दुनिया की सबसे लंबी रोप-वे परियोजनाओं में से एक देहरादून-मसूरी रोप-वे का कार्य भी प्रगति पर है। उत्तराखण्ड राज्य उत्कृष्ट कानून और व्यवस्था के लिए जाना जाता है। उत्तराखण्ड में औद्योगिक सद्भाव का इतिहास रहा है। उत्तराखण्ड राज्य सबसे कम औद्योगिक विवाद वाले राज्यों में से एक है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड में प्रचुर जल संसाधनों की उपलब्धता, देश में सबसे कम औद्योगिक विद्युत टैरिफ, उद्योगों के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करता है। इसके साथ ही, उत्तराखण्ड सरकार ने लॉजिस्टिक्स को मजबूत करने और व्यापार को सुविधाजनक बनाने के लिए बुनियादी ढांचे को मजबूत कर रही है। निर्यात को बढ़ावा देने के लिए राज्य में हरिद्वार तथा पन्तनगर में अत्याधुनिक अंतर्देशीय कंटेनर डिपो और भूमि कस्टम स्टेशन की स्थापना की गयी है। उन्होंने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों में निवेश को आकर्षित करने के लिए उत्तराखण्ड में इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन किया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य ने अपना जैविक कृषि अधिनियम 2019 तैयार किया है और हम उत्तराखण्ड को पूर्ण जैविक राज्य के रूप में विकसित करने की दिशा में काम कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने राज्य में 17-18 अप्रैल, 2020 को प्रस्तावित ‘वैलनेस समिट-2020’ में उद्योग जगत से जुड़े प्रतिभागियों को आमंत्रित करते हुए कहा कि इससे उत्तराखण्ड के विभिन्न क्षेत्रों में निवेश की सम्भावनाओं का पता लगाने के लिए एक मंच प्रदान किया जा सकेगा। इस अवसर पर मुख्यमंत्री के सलाहकार के.एस. पंवार, मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह, प्रमुख सचिव मनीषा पंवार, सचिव दिलीप जावलकर, एल. फैनई एवं सी.आई.आई महाराष्ट्र से विशाल कामत भी उपस्थित थे।