उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार की भूमिका पर क्यों सवाल उठ रहे हैं?
बार-बार उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार को निशाने पर क्यों लिया जा रहा है ? आखिर उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार की कार्यप्रणाली को लेकर क्यों सवाल उठाए जा रहे हैं ?
क्या उत्तराखंड के डीजीपी के विदाई होगी?
यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि कांग्रेस उत्तराखंड के DGP के पीछे पड़ गई है और कांग्रेस ने देहरादून के एसएसपी को बीजेपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की तहरीर दी है और आरोप लगाया है कि डीजीपी ने कानून का पालन नहीं किया है इसलिए उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज होना चाहिए
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उत्तराखंड मे अंकिता भंडारी की हत्या के बाद डीजीपी ने उनके पिता से फोन पर बात की थी और वह फोन रिकॉर्डिंग बाद में वायरल भी हुई थी इसी बात को लेकर कांग्रेस खफा है । पहला पहलू यह है, दूसरा पहलू यह है कि DGP ने कुछ रोज पहले ही यह साफ-साफ आदेश दिए कि जो आंदोलन कर रहे हैं जो मुख्यमंत्री आवास तक पहुंच गए हैं, उनके खिलाफ मुकदमे हो और सख्त धाराओं में मुकदमा हो, ऐसा ना हो कि हल्की धाराओं में केस दर्ज कर छोड़ दिया जाए। इसलिए कांग्रेस भड़की हुई है और गुस्से में है।
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उत्तराखंड के पुलिस मुखिया के खिलाफ कांग्रेस ने मोर्चा खोला हुआ है और जब से बीजेपी ने प्रदर्शनकारियों और आंदोलनकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की बात कहीं है तब से तो कांग्रेस पूरी तरह से भड़की हुई है। सियासत अब गर्म है। सवाल बीजेपी की कार्यप्रणाली को लेकर , उनकी भूमिका को लेकर उठाए जा रहे हैं।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि यह लड़ाई कहां जाकर रुकेगी और कांग्रेस इस लड़ाई को कैसे जीत पाएगी और कैसे इस मसले का समाधान होगा, क्या उत्तराखंड की जनता चुपचाप ये देखती रहेगी और विपक्ष यू ही बयानबाजी करता रहेगा ?