उत्तरकाशी : सेवा निवृत्ति के बाद आमरण अनशन को मजबूर सहायक खंड विकास अधिकारी

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उत्तराखंड के भले ही राज्य सरकार  पेपरलेस होने और सभी विभागीय सरकारी काम अनलाइन होने  के दावे  करती हो ,  किन्तु धरातल हकीकत यही  है कि  आज भी अपने जीवन के 30 साल सरकारी सेवा मे देने के बाद एक अधिकारी को अपने पेंशन प्रकरण के लिए डीएम ऑफिस मे आमरण अनशन के लिए बैठना पड़ रहा है । वो भी सिर्फ इसलिए कि पेंशन पट्टे के लिए वे उसी विभाग को सुविधा शुल्क नहीं दे रहे है जिसकी उन्होंने 30 साल सेवा की। 

जानबूझ कर पेपर गायब कर वापस लौटाई जाती है फाइल ?

उत्तरकाशी – अपने 30 वर्ष के सेवा काल मे आम जन की सेवा करने वाले सहायक खंड विकास अधिकारी श्रवण सिंह चौहान को सेवा निवृत्ति के लिए डीडीओ ऑफिस से जिला कोषागार के चक्कर काटने को मजबूर होना पड़ रहा है । एक साल तक फूटबाल की तरह यहाँ से वहाँ चक्कर लगाने के बाद जब कोई राहत नहीं मिली तो उन्होंने डीएम को अपनी फ़रियाद लिखकर सुनाई । डीएम ने भी 14 मार्च 2022 को संबंधित विभाग को तटकल प्रकरण का निस्तारण करने के निर्देश दिए इसके बाद भी विभाग के कान मे जूं तक नहीं रेंगी । परेसान होकर सेवा निवृत्त सहायक खंड विकास अधिकारी ने डीएम ऑफिस मे आमरण अनशन की चेतावनी दी है ।

पेंशन के लिए भी सुविधा शुल्क ?

श्रवण सिंह चौहान सहायक विकास खंड चिन्यालीसौड़  चिन्यालीसौड़ ब्लॉक से  पिछले वर्ष 30 अप्रैल 2021 को सेवानिवृत्त हो गए थे।  सेवानिवृत्त के बाद उन्होंने अपना पेंशन प्रकरण तैयार करवाकर जून 2021 को पूर्ण औपचारिकताओं के साथ आयुक्त ग्राम विकास पौड़ी को स्वीकृति के लिए भिजवाया,  जिसके बाद अगस्त 2021 को पौड़ी से उनका पेंशन प्रकरण स्वीकृत होकर जिला विकास अधिकारी कार्यालय उत्तरकाशी पहुंच गया था

कई दिनों तक विकास कार्यालय में लंबित रहने के बाद उन्होंने खुद अपना पेंशन प्रकरण भुगतान हेतु जिला कोषागार प्रेषित करवाया , लेकिन लंबे समय तक उनका प्रकरण लंबित रहने के बाद बार-बार त्रुटिया  लगाकर वापस जिला विकास कार्यालय को भेज दिया गया।  जिसके बाद खुद उनके द्वारा जिला विकास कार्यालय से पुनः सभी त्रुटियों को दूर कर जिला कोषागार में पेंशन प्रकरण  स्वयं जमा कराया गया ।  कोषागार द्वारा फिर से  आपत्तियां लगाकर जिला विकास कार्यालय को वापस भेज दिया गया । सेवा निवृत्त सहायक खंड विकास अधिकारी श्रवण  सिंह चौहान ने आरोप लगाया कि बिना किसी कारण के और गलत मंशा के चलते अब तक उनका पेंशन प्रकरण लंबित रखा गया है।  उन्होंने कहा कि उनके ऊपर विभाग की किसी भी किस्म की कोई बकाया देनदारी नहीं है और  पत्रावली में कोई आपत्ति भी नहीं है साथ ही उनका प्रकरण साफ सुथरा है । ऐसे में जानबूझकर अपने स्वार्थ के लिए कुछ लोग उन्हें परेशान कर रहे हैं और पूरी पत्रावली भेजने के बाद भी कागजों को गायब कर अनावश्यक आपत्तियां लगाई जा रही हैं ।

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सेवानिवृत्त सहायक विकास अधिकारी श्रवण सिंह चौहान ने डीएम को लिखे गए पत्र में चेतावनी दी है कि यदि 10 दिन के भीतर उनके पेंशन प्रकरण को स्वीकृत करके नहीं भेजा गया तो उन्हें मजबूर होकर डीएम ऑफिस के सामने आमरण अनशन करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।  हैरानी की बात यह है कि 14 मार्च 2022 को डीएम को लिखे गए प्रार्थना पत्र पर डीएम  नोटिंग के  बावजूद भी पेंशन प्रकरण पर कोई कार्यवाही नहीं की गई।

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