उत्तरकाशी
ऊर्जा प्रदेश उत्तराखंड मे ऊर्जा निगम, जल विद्युत निगम और पिटकुल के कर्मचारी, अधिकारी सयुंक्त रूप से अपनी 14 सूत्रीय मांगो के समर्थन मे आर पार की लड़ाई के मूड मे है |
आवश्यक सेवा को देखते हुए फिलहाल कार्य बाधित नहीं किया गया है | चरण बद्ध रूप से चल रहे आंदोलन मे 27 जुलाई से सभी अधिकारी-कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे |
कर्मचारियो की दो प्रमुख मांगो मे 9 वर्ष 14 वर्ष और 19 वर्ष मे समय बद्ध वेतनमान एसीपी की सुविधा पूर्व की भांति बहाल करने और उपनल करर्मियों के नियमितीकरण होने तक समान कार्य के लिए समान वेतन की व्यवस्था करना है |
ऊर्जा से जुड़े तीनों विभाग के कर्मी अति दुर्गम परिस्थिति मे काम करते है लिहाजा पूर्व मे इनके लिए एसीपी की यह व्यवस्था पहले से लागू थी जिसे सातवे वेतनमान लागू होने के बाद वर्ष 2016 से 10 वर्ष 20 वर्ष और 30 वर्ष कर दिया गया | इस दौरान कर्मचारियो द्वारा अपनी मांगो के लिए भेजे गए ज्ञापन पर विभाग की तरफ से कोई संतोषजनक जबाब नहीं दिया गया, जिसके बाद कर्मचारी आर पर की लड़ाई के मूड मे आ गए है |
विद्युत अधिकारी – कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा अपनी 14 सूत्रीय मांगों को लेकर राज्यव्यापी आंदोलन मे कूद गया है | आंदोलन के पहले चरण मे गेट मीटिग से सुरुवात की गयी है । इस दौरान पावर हाउस का काम बाधित नहीं किया गया है सिर्फ दो घंटे अपनी मांगो के समर्थन मे प्रदर्शन किया जा रहा है |
मोर्चा के पदाधिकारियों ने कहा कि यह आंदोलन मांगें पूरे होने तक निरंतर चलता रहेगा। आंदोलन की अगली कड़ी मे 20 जुलाई को ऊर्जा भवन देहरादून मे में पूरे प्रदेश के अधिकारी, कर्मचारी एकत्र होकर प्रदर्शन करेंगे। आंदोलन की तीसरी कड़ी 27 जुलाई से सुरू होगी जब कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे।
मनेरी भाली जलविद्युत परियोजना प्रथम के तिलोथ स्थित पावर हाउस परिसर में ऊर्जा निगम, जल विद्युत निगम और पिटकुल के कर्मचारी, अधिकारी एकत्र हुए। अपनी मांगों को लेकर नारेबाजी करते हुए गेट मीटिग की। संघ की तरफ से नीरज भद्री ने बताया कि भागीरथी वैली से तिलोथ और धरासु पावर हाउस गंगा घाटी से चीला मोहमदपुर , कालागढ़ और पथरी पावर हाउस एवं जमुना घाटी से डाक पत्थर, छिबरों, खोदरी, ढालीपुर और ढकरानी पावर हाउस और सब स्टेशन से कर्मचारी संयुक्त रूप से आंदोलित है
कर्मचारियों ने कहा कि उनकी प्रमुख मांगों में उपनल व संविदा कार्मिकों को समान कार्य का समान वेतन देना, नियमित कार्मिकों की एसीपी की पुरानी व्यवस्था 9 वर्ष, 14 वर्ष, 19 वर्ष की जाए।
अंडोलंकारियों ने कहा कि सरकार और निगम प्रबंधन की हठधर्मिता के कारण कर्मियों को आंदोलन के लिए विवश होना पड़ रहा है। ऊर्जा के तीनों निगमों के कर्मचारी उत्तराखंड को 24 घंटे सुचारू रूप से विद्युत आपूर्ति करते हैं। कोविड काल में भी ऊर्जा निगम ने सुचारू रूप से बिजली की आपूर्ति की। लेकिन, इसके बावजूद सरकार और प्रबंधन की ओर से सकारात्मक रुख नहीं अपनाया गया।