लंका जीत कर भगवान राम की मदद करने वाले और लंकापति रावण को युद्ध में हराने वाले ये बंदर कतई नहीं हो सकते ये तो काश्तकारों के लिए सरदर्द बने हुए हैं। खेत खलिहान पेड़ पौधों को नुकसान पहुंचाने के बाद अब यह इंसान पर हमला करने से भी बाज नहीं आ रहे है, ऐसे में बात आगे बढ़े इससे पहले ही इंसानों और जानवरों के बीच परिभाषा को रिफ्रेश करने की जरूरत महसूस होने लगी है।
गिरीश गैरोला
उत्तरकाशी जिले के धरासू बैंड के पास मेहर गांव गमरी में उस वक्त हड़कंप मच गया जब अपनी मां के साथ खेत में गए एक 4 साल के बच्चे को बंदर ने न सिर्फ उठाया बल्कि घसीट कर अपने साथ ले जाने की कोशिस करने लगा इस दौरान मा ने बच्चे के पैर पकड़ कर बंदर से छुड़ाने का भरसक प्रयास किया किंतु बंदर बच्चे के बाल पकड़कर अपनी तरफ घसीटता रहा, आसपास के लोगों ने शोर मचाकर ग्रामीणों को एकत्र किया । इतनी देर तक बंदर और मां के बीच बच्चे को लेकर रस्सा कस्सी होती रही।
एक तरफ मां बच्चे के पैर पकड़कर अपनी तरफ खींच रही थी दूसरी तरफ बंदर बच्चे के बाल पकड़कर उसे अपने साथ जंगल में ले जाने पर अड़ा था।
सामाजिक कार्यकर्ती मुकेश बर्तवाल ने बताया कि ग्रामीणों की भीड़ अपनी तरफ आते देख किसी तरह से बंदर ने बच्चे को छोड़ा लेकिन इस दौरान बच्चे के सर में काफी छोटे आ गई थी लोगों ने निजी वाहन से बच्चे को चिन्यालीसौड़ अस्पताल ले गए जहां उसकी मरहम पट्टी की गई , बच्चे के सर में 5 टांके लगाएं गए है।
मुकेश ने बताया इससे पहले भी गांव के लोग बंदरों के आतंक से परेशान हो चुके हैं गौर करने वाली बात यह है कि उत्तराखंड सरकार काश्तकारों को परेशान करने वाले बंदरों को मारने का फरमान जारी कर चुकी है, इस बीच इसे धार्मिक रंग देकर रोकने का प्रयास भी किया जा रहा है , बंदर को हनुमान का रूप मानकर लोग उसकी पूजा करते हैं और उसे फल चढ़ाते हैं लेकिन जिस तरह से आतंक बंदरो ने काश्तकारों के साथ मचाए हुआ है उससे जाहिर होता है कि लंका को जीतने वाले और रावण को मारने वाले बंदर कोई और ही रहे होंगे कम से कम ये छुछुन्दर तो नहीं हो सकते।
जानकारों की माने तो उत्पात मचाने वाले यह बंदर मूल रूप से पहाड़ी बंदर नहीं है क्योंकि पहाड़ी बंदर मूल रूप से शर्मिला होता था और कभी कभार टोली के साथ ही गांव में आता था लेकिन इन बंदरों के इंसानों के साथ भिड़ने के रुख को देखकर लगता है कि इन्हें मैदानी क्षेत्रों से पकड़ कर पहाड़ों की तरफ भिजवाया गया है।
मेहर गांव गमरी मैं 4 साल का अभिनंदन अपनी मां और अपने 7 साल के भाई के साथ घर में अकेला रहता है अभिनंदन के पिता लॉकडाउन के चलते मध्यप्रदेश में फंसे हुए हैं। माता जमुना देवी किसी तरह से घर के काम निपटा कर खेत के काम निपटाने के लिए जैसे ही सुबह अपने चिना के खेत में पहुंची तो घर में अकेले अभिनंदन ने भी मां के साथ जाने की जिद की । गांव के पास ही लगे खेतों में मां अपने काम में व्यस्त हो गई इस दौरान बंदर ने बच्चे पर हमला कर दिया।
आमतौर पर दिखाया जाता है कि बंदर छोटे बच्चों पर हमला नहीं करते उन्हें प्यार करते हैं किंतु इस बार जो घटना गांव में घटी उसके बाद जानवरों को लेकर परिभाषा ही बदल गई है, यानी कि अच्छे बुरे इंसानों में ही नही अच्छे बुरे जानवर में भी होते हैं। अपने बच्चे को संकट में देख भोली भाली गायक आक्रमक हो सकती है तो फिर इंसान कैसे चुप बैठ सकता है?
डीएफओ उत्तरकाशी संदीप कुमार ने बताया कि बंदर अपने भोजन के प्रति काफी संवेदनशील होता है अक्सर गांव और बाजार के लोग बचे हुए खाने को एक जगह पर डंप कर देते हैं किसी दिन उस जगह पर बंदर को खाना नहीं मिले तो वह आस-पास के लोगों पर हमले की मुद्रा में आ जाता है उन्होंने कहा कि संबंधित वन कर्मी को इलाके में भेज दिया गया है और नियमानुसार मुआवजे की कार्यवाही की जाएगी।