उत्तरकाशी
डा.रघुनन्दन सिंह टोलिया उत्तराखण्ड प्रशासन अकादमी नैनीताल के तत्वाधान में डिजास्टर रिस्क रिडक्शन को लेकर जिला सभागार में एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई। जिलाधिकारी श्री मयूर दीक्षित के निर्देश के क्रम में कार्यशाला में जीवन रेखा से जुड़े विभागों के अधिकारियों द्वारा प्रतिभाग किया गया।
कार्यक्रम निदेशक,प्रभारी आपदा प्रबंधन प्रकोष्ठ,डॉ रघुनंदन टोलिया उत्तराखंड प्रशासन अकादमी नैनीताल डा.ओम प्रकाश द्वारा कार्यशाला में आपदा के खतरे कम करने के उपायों के बारे में प्रस्तुतीकरण के माध्यम से विस्तारपूर्वक जानकारी दी। उन्होंने प्राकृतिक आपदाओं के इतिहास पर विस्तृत प्रकाश डालते हुए कहा कि प्राकृतिक आपदाएं सदियों से चली आयी हैं। आपदा के दुष्परिणामों का न्यूनीकरण कैसे हो इसके लिए समय- समय प्रशिक्षण,कार्यशाला आयोजित कर प्रशिक्षित किया जा रहा है। इसके अलावा जोखिम को कम करने हेतु जन जागरूकता होना बेहद जरूरी हैं। आपदा के दौरान राहत व बचाव कार्य महत्वपूर्ण होता है इसलिए आईआरएस के अन्तर्गत माॅक अभ्यास करवायी जाती है ताकि हम कम से कम समय में अधिक से अधिक लोगों की जाने बचा सकें।
कार्यशाला में वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से हिमालयन हांस्पीटल जौलीग्रांट से मनोवैज्ञानिक डा.मालनी श्रीवास्तव ने भी प्राकृतिक आपदा से मनुष्य के अन्दर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव, लक्षणों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि प्राकृतिक आपदा के बाद यदि किसी व्यक्ति के व्यवहार में अचानक परिवर्तन आता है। तो कहीं न कहीं उस व्यक्ति का संबंध उसी घटना से है। उन्होंने इस बिमारी से निजात के लिए जरूरी उपाय भी कार्यशाला में बतायें।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजास्टर मैनेजमेंट नई दिल्ली प्रोफेसर श्री सूर्य प्रकाश ने भूस्खलन मैनेजमेंट के बारे विस्तृत जानकारियां दी।
कार्यशाला में जिला पूर्ति अधिकारी गोपाल सिंह मटूड़ा ने जनपद उत्तरकाशी में आयी प्राकृतिक आपदाओं के अनुभव भी साझा किए। उन्होंने बताया कि 1978 में डबरानी भूस्खलन,1991 में विनाशकारी भूकम्प,2003 में वर्णावत भूस्खलन,2010 बड़कोट-मसूरी सड़क मार्ग बाधित एवं 2012-13 में यमुनोत्री एवं गंगोत्री धाम की आपदाएं साक्षात देखी है। पहले जनजागरूकता नहीं होने के कारण काफी संख्या में जनहानि होती थी। लेकिन अब जन सामान्य को जागरूक करने के उद्देश्य से कार्यक्रम, प्रशिक्षण, कार्यशालाएं आयोजित कर जागरूक किया जा रहा है। तथा लोग जागरूक हुए है। जिस कारण जनहानि में कमी आयी हैं।
कार्यशाला में सीएमओ डा.डीपी जोशी,सीवीओ डा.प्रलंयकरनाथ,मुख्य कृषि अधिकारी गोपाल सिंह भंडारी,सीएचओ डा रजनीश,लीड बैंक अधिकारी बीएस तोमर,जिला शिक्षा अधिकारी जितेन्द्र सक्सेना,वरिष्ठ परियोजना अधिकारी उरेड़ा वन्दना,जिला कार्यक्रम अधिकारी संगम सिंह, आपदा समन्वयक जय पंवार,शार्दूल गुसाईं सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।