अगर अभी शीघ्र एकजुट होकर भू-कानून के लिए संघर्ष नहीं किया तो उत्तराखंडीयों को अपने देवभूमि से हाथ धोना पड़ेगा।
उत्तराखंड में भू-कानून की लागू करने की मांग को लेकर पूर्व नियोजित समय पर शनिवार 4 सितंबर 2011 को पंचकुइयां रोड स्थित गढ़वाल भवन में उत्तराखंडी समाजसेवियों और राज्य प्रेमियों ने भू-कानून संघर्ष समिति के बैनर तले समिति के सक्रिय सदस्यों ने बैठक की। जिसमें पूरे देश में रहने वाले उत्तराखंड समाज को भू -कानून के लिए जागरूक करने हेतु संकल्प लिया गया । उत्तराखंड में 2022 में होने वाले विधानसभा से पहले भू -कानून अगर लागू नहीं हुआ तो सत्ताधारी पार्टी नया कानून लाकर उत्तराखंड की सारी भूमि को बाहरी लोगों को बेच देगी। हालांकि चुनाव के मद्देनजर उत्तराखंड सरकार ने इसके लिए एक कमेटी का गठन सिर्फ जनता को बरगलाने के लिए किया है।