प्रदेश बीजेपी सरकार मे ज़ीरो टोलरेंस की धमक के बीच एक बार फिर से पीडब्ल्यूडी मंत्री सतपाल महाराज पर सवाल उठने लगे हैं। महाराज एक बार फिर से विपक्ष के निशाने पर आ गए हैं । सतपाल महाराज प्रदेश मे सीनियर मंत्री हैं और पीडब्ल्यूडी जैसा भारी भरकम मंत्रालय उनके पास है । लेकिन बार-बार उनके विभाग को लेकर सवाल उठते रहे हैं । महाराज पहले भी खबरों को लेकर चर्चा मे रहे है कभी विभागीय अधिकारी उनकी नहीं सुनते तो कभी विभाग के सचिव ।
इस बार यह लोक निर्माण विभाग पर बड़ा सवाल उठ रहा है । देहरादून – जौली ग्रांट को जोड़ने सड़क पर भोपाल पानी मे जो ब्रिज पीडबल्यूडी द्वारा बनाया गया था, वह टूट गया है।
महाराज के विभाग पर आरोप है कि इसमें भ्रष्टाचार हुआ, बड़े पैमाने पर घपला हुआ है । भोपाल पानी के पास यह पूल टूटा तो विपक्ष भी अब बीजेपी सरकार और सतपाल महाराज पर हमलावर है। सवाल ये उठाए जा रहे हैं की इतना बड़ा भ्रष्टाचार हो गया तो आखिर सरकार क्या कर रही थी ?
कहां सो हो रही थी ।
पीडब्ल्यूडी महकमे का वो कौन जिम्मेदार अधिकारी है जिसने इस तरह का घटिया पुल बनवाया जो फिर से टूट गया, एयरपोर्ट को जोड़ने वाला ये पुल बहुत महत्वपूर्ण है लेकिन यह पुल टूट गया और इसका करीब 27 मीटर हिस्सा टूट गया है । पुल टूटने के बाद विपक्ष के नेता करण माहरा मौके पर पहुंचे और उन्होंने मौके पर मौजूद लोगो से पुल के बारे जानकारी जुटाई ।
भोपाल पानी के पास एयरपोर्ट को जोड़ने के लिए तकरीबन आठ करोड़ की लागत से यह पुल बनाया गया था । वर्ष 2018 में इसे मंजूरी मिली थी और महज 4 साल में ही पुल धरासई हो गया और सुना तो ये भी जा रहा है कि इसमें 3 करोड रुपए की मिटटी भरी गई थी ।
4 साल के अंदर पुल की स्थिति बताती है किस बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है लेकिन इसका असल जिम्मेदार कौन है? कसूरवार कौन है ? यह बताने वाला कोई नहीं। हालांकि जब बीते दिनों इस पुल का एक और हिस्सा टूटा था तब 4 इंजीनियर जरूर सस्पेंड किए गए थे, लेकिन क्या ये काफी है ?
तब जो इंजीनियर सस्पेंड किए गए थे वो किस रिपोर्ट के आधार पर किए गए थे ? रिपोर्ट में क्या आया था? रिपोर्ट मे ऐसा क्या बताया गया था कि एक बार मरम्मत के बाद पुल फिर से ठीक हो जाएगा? दुरुस्त हो जाएगा?
लेकिन इसके कुछ दिन बाद ही यह स्थिति आ गई कि पुल का एक बड़ा हिस्सा टूट गया ।
लापरवाही एक बार नहीं दो दो बार हुई ।
पहले फूल बनाने में उसके बाद जांच रिपोर्ट तैयार करने में ।
अब सीधे-सीधे सतपाल महाराज जो पीडबल्यूडी मंत्री हैं उसका इस्तीफा विपक्ष मांग रहा है । 8 करोड़ की लागत से बने पुल का हिस्सा टूटा है , जबकि पहले भी विपक्षी कांग्रेस ने इसकी गुणवत्ता पर सवाल उठाए थे। इसलिए अब पीडब्ल्यूडी मंत्री से इस बार विपक्ष इस्तीफा मांग रहा है और सचिव पर भी कार्यवाही की मांग उठ रही है पीडब्ल्यूडी मंत्री इस्तीफा देंगे या नहीं देंगे यह तो एक सियासी पहलू है लेकिन सतपाल महाराज का विभाग एक बार फिर सवालों में हैं, चर्चाओ मे है । सतपाल महाराज के कार्यप्रणाली पर पहले भी सवाल उठते रहे हैं मगर अब जिस तरीके से यह पुल टूटा है तो भृस्टाचार पर विभाग कि घिरना तय है । 2018 में जब पुल का निर्माण हुआ तब त्रिवेंद्र रावत मुख्यमंत्री थे सतपाल महाराज तब भी पीडब्ल्यूडी मंत्री थे, ज़ीरो टोलरेंस तब भी बड़े ज़ोर शोर से था तो अब कहाँ गया और अब इसका जिम्मेदार कौन है ? उत्तराखंड की जनता को इसका आज भी जवाब मिलेगा या नहाई – किसी को नहीं मालूम
सीएम कि चाहत लिए congress से बीजेपी मे आए सीनियर मंत्री सतपाल महाराज यूं तो कई बार धार्मिक मंचों से कथा प्रवचन कर ज्ञान बांटते दिखाई देते हैं लेकिन इस बार ऐसा क्या हुआ कि खुद महाराज को ही उनके घूर विरोधी ठोक ठोक कर ज्ञान बांट रहे हैं , ऐसा क्या हुआ कि महाराज ही नहीं बल्कि उनके मंत्रालय के अधिकारी सहित सचिव भी सवालों के घेरे में आ गए हैं