मेडिकल जगत में लंबे समय से एलोपैथिक और आयुष के डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ के बीच बढ़ रहे खाई को कोरोना महामारी के दौरान जहां पाटने का मौका मिला था , वही एक छोटी सी त्रुटि ने आग में घी डालने का काम कर दिया, चिंगारी धुए से लपटों में बदलती इससे पहले ही चम्पावत सीएमओ ने मामले को जिस तरह से टैकल किया उससे उनकी प्रशासनिक क्षमता साफ झलकती है। दरअसल महामारी के दौरान अपने अधीनस्थ को किए गए पत्राचार में कौमा न लगने से अर्थ का अनर्थ हो गया, और खुद को झोला छाप लिखे जाने से आयुर्वेदिक डॉक्टर आग बबूला हो गए, मामला आयुर्वेदिक कर्मचारियों के प्रदेश संगठन तक पहुंचा और बयानबाजी का दौर सुरु हो गया था।
गिरीश गैरोला
सीएमओ चंपावत डॉक्टर आरपी खंडूरी ने आयुर्वेद के समस्त चीफ फार्मासिस्ट वरिष्ठ फार्मासिस्ट उप केंद्र फार्मासिस्ट और अन्य जनपद चंपावत के स्टाफ को माफीनामा पत्र लिखा है।
अपने पत्र में उन्होंने कोरोनावायरस महामारी संक्रमण को देखते हुए चिकित्सा इकाइयों में सर्दी जुकम बुखार से संबंधित सूचना प्राप्त करने के लिए किए गए पत्राचार में टंकण की अशुद्धि बताते हुए खेद व्यक्त किया है साथ ही उन्होंने भरोसा दिलाया कि भविष्य में इस प्रकार कीी त्रुटि नहीं होगी इसका पूरा प्रयास किया जाएगा।
सीएमओ ने बताया कि मानव चलित कंप्यूटर एवं कोविड-19 महामारी संक्रमण के कार्य की अधिकता के कारण यह टंकण त्रुटि हुई है ।
दरअसल 11 जून 2020 को सीएमओ चंपावत द्वारा अपने अधीनस्थ स्टाफ को लिखे गए पत्र में आई एम एस चिकित्सकों को झोलाछाप लिखे जाने के बाद आयुर्वेदिक चिकित्सकों फार्मासिस्ट एवं अन्य कर्मचारियों में रोष व्याप्त हो गया था और उन्होंने इस संबंध में उच्च अधिकारियों के साथ संबंधित सीएमओ को माफीनामा पत्र लिखने न देने पर अग्रिम कार्यवाही की चेतावनी दी थी ।
सीएमओ चंपावत डॉक्टर खंडूरी ने इस घटना को स्वाभाविक रूप से स्वीकार कर मेडिकल समाज में फैल रही विद्वेष की भावना को यहीं पर ब्रेक दे कर वास्तव में बड़े होने का परिचय दिया, अपनी त्रुटि को सामान्य रूप से स्वीकार कर वास्तव में डॉक्टर साहब ने साबित किया कि वह अनुभवी प्रशासनिक अधिकारी हैं।

