परमार्थ निकेतन में आया वल्र्ड रीडर प्रतिनिधिमंडल, रीड टू किड्स कार्यक्रम शुरू करने पर हुई चर्चा

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-शिक्षा, उपदेश परक नहीं बल्कि रोचक होः स्वामी चिदानन्द सरस्वती।


ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन में वल्र्ड रीडर टीम के सदस्य आये, उन्होंने परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय सदस्य साध्वी भगवती सरस्वती जी से भेंट की। परमार्थ निकेतन, ग्लोबल इंटरफेथ वाश एलायंस, डिवाइन शक्ति फाउंडेशन और वल्र्ड रीडर मिलकर ऋषिकेश व आस-पास के लगभग 30 सरकारी विद्यालयों में ’रीड टू किड्स’ कार्यक्रम शुरू करने हेतु विस्तृत चर्चा हुई। प्राथमिक स्तर पर नवाचार युक्त शिक्षा पद्धति, विद्यालय के साथ-साथ घर में भी सीखने के माहौल में सुधार करना तथा मूल्यपरक शिक्षण कार्यक्रमों के विकास पर चर्चा हुई। 

गिरीश गैरोला

साध्वी जी ने सुझाव दिया कि हमें उत्तराखण्ड राज्य की शिक्षा को और अधिक बेहतर बनाने के लिये राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के चिंतकों को आमंत्रित कर एक कार्यशाला का आयोजन करना होगा क्योंकि बेहतर शिक्षा के लिये कई परिवार पहाड़ों से पलायन कर रहे हंै। उन्होंने कहा कि यहां से लोग बड़े शहरों में अपने बच्चों को शिक्षा देने और रोजगार के लिये जाते हैं और अक्सर स्लम बस्तियों में रहते हंै जो उनके स्वास्थ्य के लिये भी ठीक नहीं है और दूसरी ओर पहाड़ खाली होते जा रहे हंै अतः पहाड़ोें के लिये बेहतर और रोजगारपरक शिक्षण कार्यक्रम तैयार करने के लिये योजना बनाने की जरूरत है। इसके लिये शिक्षकों का एक नेटवर्क तैयार कर उन्हें एक्टिविस्ट द्वारा प्रशिक्षित कर शिक्षा को रोचक बनाया जा सकता है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि बच्चों को बचपन से ही कौशल विकास शिक्षण पद्धति से प्रशिक्षित किया जाना चाहिये इससे शिक्षित बेरोजगार की संख्या को कम जा सकता है। उन्होंने कहा कि गांधीजी भी नैतिकता तथा स्वाबलंबन पर आधारित शिक्षा प्रणाली के समर्थक थे क्योंकि शिक्षा में नैतिकता का व्यापक स्तर पर समावेश होगा तो भ्रष्टाचार को काफी हद तक कम किया जा सकता है। प्राथमिक स्तर से ही कौशल को बढ़ावा दिया जायें तो बेरोजगारी और गरीबी कम हो सकती है।  स्वामी जी ने कहा कि मारिया मान्टेसरी इटैलियन भौतिक विज्ञानी और शिक्षाविद ने शिक्षा के क्षेत्र में बेहत उल्लेखनीय कार्य किया है उन्होंने कहा है कि हर बच्चे में स्वयं सीखने के अपार क्षमतायें होती है परन्तु उसे रोचक बनाया जाना चाहिये। हमारी शिक्षा प्रणाली बच्चों के चहुँमुखी और सर्वांगीण विकास पर आधारित हो साथ ही बच्चों को सृजनशील बनाने में मदद करें। इसके लिये हमें बच्चों को सुरक्षित, स्वच्छ और भयमुक्त वातावरण प्रदान करना होगा। स्वामी जी ने कहा कि शिक्षा, उपदेश परक नहीं बल्कि रोचक होनी चाहिये, जो बच्चों में अन्तर्निहित गुणों को उजागर कर सकेंय उन्हें प्रकृति से जोड़ें व शिक्षा प्राप्त करते हुये वे अपने बचपन का भी आनन्द ले सकंे।एसोसिएट डायरेक्टर, वल्र्ड रीडर प्रदीप कुमार ने कहा कि स्वामी जी और साध्वी जी के सुझावों को ध्यान में रखते हुये हम एक कार्यक्रम तैयार कर रहे हैं जिसे प्रथम चरण में उत्तराखंड के 30 विद्यालयों में लागू किया जा सकता है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती और साध्वी भगवती सरस्वती के सान्निध्य में प्रदीप कुमार, एसोसिएट डायरेक्टर, वल्र्ड रीडर, हसंा दत्त भट्ट, योगेश पंत, लोेकेश यादव विश्व स्तर पर स्वच्छ जल की आपूर्ति हेतु विश्व ग्लोब का जलाभिषेक किया। यह प्रतिनिधिमंडल परमार्थ निकेतन में अपने दो दिवसीय प्रवास पर आया हुआ है।

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