त्रिवेन्द्र के गैरसैण राजधानी वाले छक्के को कैच करने नई टीम के साथ लपके किशोर – मई जून दो महीने का ग्रीष्म काल ? चश्मा साफ करते दिखे रैफरी।

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उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा गैरसैण बजट सत्र के दौरान अचानक ग्रीष्मकालीन राजधानी की घोषणा से न सिर्फ सत्ता दल बल्कि विपक्ष भी भौचक्का रह गए । यही वजह है कि विपक्ष के सभी दलों ने एकजुट होकर सामूहिक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कुछ सवाल जनता के दरबार में रखे हैं पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने अस्थाई राजधानी देहरादून के बाद 2 महीने मई और जून के लिए ग्रीष्मकालीन राजधानी की घोषणा बगैर बजट में प्रावधान किए करने पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि अस्थायी राजधानी के बाद बिना बजट में प्राविधान किये ग्रीष्म कालीन राजधानी की घोषणा के बाद ये तो बताए कि स्थायी राजधनी किधर है?

गिरीश गैरोला

उत्तराखंड के विभिन्न संगठनों ने हिंदी भवन में आयोजित प्रेस वार्ता में राज्य की वर्तमान दशा-दिशा और सरकार के रवैय्या पर गहरी चिन्ता व्यक्त की

वक्ताओं ने कहा कि मुख्यमंत्री ने ग्रीष्म क़ालीन राजधानी की अचानक घोषणा कर प्रदेश की जनता को हतप्रभ कर दिया है और उत्तराखंड राज्य आन्दोलन की भावना पर कुठाराघात किया है। मुख्यमंत्री बतायें कि देहरादून अस्थाई राजधानी, भराड़ीसैंण ग्रीष्मक़ालीन राजधानी है तो इस प्रदेश की स्थाई राजधानी कहाँ है?

वक्ताओं ने आरोप लगाया कि ग्रीष्म क़ालीन राजधानी तो अंग्रेज़ीयत की निशानी और ग़ुलामी की द्योतक है।
मुख्यमंत्री ने लगता है, अपने दल के साथियों को भी विश्वास में नहीं लिया,
जबकि प्रदेश की जनता को विश्वास में लिया जाना चाहिये था, राजनैतिक दलों को विश्वास में लिया जाना चाहिये था।

भाजपा सरकारों ने भराड़ीसैंण में निर्माण के नाम पर एक ईंट भी नहीं लगायी और अब बजट में राजधानी के लिये एक भी पैसे की व्यवस्था नहीं है।यह भी नहीं बताया कि वहाँ राजधानी के रूप में कितने दिन, महीने काम होगा, क्योंकि ग्रीष्म तो मात्र 2 महीने मई और जून का होता है।भाजपा ने एक बार फिर 2000 जब राज्य बना था की तरह 2020 में भी राजधानी के मसले को विवादास्पद बना दिया है।

वक्ताओं ने कहा कि विधान सभा में प्रस्तुत वर्तमान बजट आँकड़ों की बाज़ीगरी के अलावा कुछ नहीं है, घाटे के बजट को सरप्लस दिखाया गया है।सरकार अपने कर्मचारियों को वेतन नहीं दे पा रही है। क़र्ज़ का ब्याज देने के लिये क़र्ज़ लिया जा रहा है।

पूरा प्रदेश धरनों, प्रदर्शनों और हड़तालों का प्रदेश बन गया है। महिलायें, नौजवान, विद्यार्थी, कर्मचारी सब सड़कों पर हैं। प्रदेश जल रहा है और भ्रष्टाचार ने सारी सीमायें तोड़ दी हैं, और सरकार भराड़ीसैण में जुमले देने में व्यस्त है।

प्रेस वार्ता में कांग्रेस पार्टी के पूर्व राज्य अध्यक्ष किशोर उपाध्याय; समाजवादी पार्टी के पूर्व राज्य अध्यक्ष डॉ एस.एन सचान; भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव समर भंडारी; मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता बची राम कंसवाल; चेतना आंदोलन से शंकर गोपाल; जन संवाद समिति उत्तराखंड से सतीश धौलखंदी; और तृणमूल कांग्रेस के सह संयोजक राकेश पंत रहे।

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