रोड़ी बजरी और दारू की सरकार – सूबे में डॉक्टर्स की भी है दरकार – लटक रही हाई कोर्ट की तलवार,

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देहरादून

रोड़ी बजरी और दवा दारू बेचकर पुष्पित और पल्लवित हो रही उत्तराखंड की राजनीति में हालांकि शिक्षा भी लंबे समय से एक बाजार का रूप ले चुकी थी फिर भी कानून का डर दिखाने के लिए ही सही कायम तो था, आयुर्वेदिक कॉलेज में बढ़ाई गयी मनमानी फीस वापसी के लिए उच्च न्यायलय के आदेश और कानून के लंबे हाथ भी छोटे पड़ गए है। ऐसे में पहाड़ो में डॉक्टर न चढ़ने के रोना रोने वाली सरकारोंको अपने और अपने सहयोगियों के गिरेबान में झांकने की जरूरत है जो एमबीबीएस की सरकारी फीस से ज्यादा बीएमएस की फीस निर्धारण को जायज बताने में लगे हुए है, राज्य सरकार के मुखिया भी इन बिल्लो के गले मे घंटी बांधने की हिम्मत नही जुटा पा रहे है,

गिरीश गैरोला

कांग्रेस कमेटी के पूर्व सचिव एवं प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रकाश जोशी ने निजी आयुर्वेद काॅलेजों द्वारा छात्रों पर बढ़ी हुई फीस जमा करने के लिए बनाये जा रहे दबाव को उनका का आर्थिक शोषण बताया है। 

प्रदेश कांग्रेस कमेटी कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत करते हुए प्रकाश जोशी ने कहा कि उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय से सम्बद्ध आयुष शिक्षा काॅलेजों में वर्ष 2015 में जो फीस वृद्धि का शासनादेश जारी किया गया है, उसके विरोध में आयुष शिक्षा में अध्ययनरत छात्र-छात्रायें लम्बे समय से आन्दोलनरत हैं। निजी आयुर्वेद काॅलेजों में शुल्क निर्धारण को सर्वाेच्च न्यायालय के दिशा-निर्देशों के अनुरूप उच्च न्यायालय के सेवा निवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में गठित शुल्क निर्धारण समिति एक्ट 2006 की सिफारिशों के बिना राज्य सरकार द्वारा बढ़े हुए शुल्क का शासनादेश जारी कर निजी क्षेत्र के आयुर्वेदिक काॅलेजों की फीस में सीधे ही लगभग तीन गुना (80 हजार रूपये से बढ़ाकर 2 लाख 15 हजार) कर दी गई। निजी आयुर्वेद काॅलेजों द्वारा इस शुल्क के अतिरिक्त लगभग 35 से 40 हजार रूपये डेवलप्मेंट चार्ज एवं अन्य मदें जोड़कर वसूल किया जाता है। उन्होंने कहा कि यह भी सर्व विदित है कि कोई भी शासनादेश निर्गत होने की तिथि या अगली तिथि से लागू होता है न कि पिछली तिथि से जबकि आयुष काॅलेजों द्वारा इस शासनादेश को पिछले सत्र से लागू किया गया जो कि पूर्णतः नियम विरू़द्ध है।

प्रकाश जोशी ने कहा कि आयुष काॅलेजों में शुल्क वृद्धि के शासनादेश के लागू होने के उपरान्त सभी आयुष काॅलेजों द्वारा पूर्व में प्रवेशित छात्रों से भी बढ़ी हुई फीस वसूलने के आदेश जारी कर दिये गये। फीस वृद्धि के आदेशों के उपरान्त पूर्व प्रवेशित छात्रों द्वारा राज्यपाल के सम्मुख अपनी बात रखी गई परन्तु कोई निर्णय न होने के बाद उन्हें मजबूर होकर उच्च न्यायालय की शरण लेनी पड़ी।

उच्च न्यायालय नैनीताल द्वारा याचिका  पर सुनवाई करते हुए 9 जुलाई, 2018 को उक्त शुल्क वृद्धि सम्बन्धी शासनादेश को निरस्त करने के आदेश जारी किये। साथ ही छात्रों से वसूला गया बढ़ा हुआ शुल्क 14 दिन के अन्दर वापस लौटाने के भी आदेश दिये गये हैं। उच्च न्यायालय की एकलपीठ के उक्त आदेश के खिलाफ निजी काॅलेजों द्वारा पुर्नविचार याचिका दायर की गई परन्तु 9 अक्टूबर, 2018 को उच्च न्यायालय की खण्डपीठ द्वारा एकलपीठ के आदेश को सही ठहराते हुए आदेश जारी किया गया।  जिसके उपरान्त राज्य सरकार द्वारा 2 नवम्बर 2018, 22 मार्च, 2018 एवं 23 अपै्रल 2018 को उच्च न्यायालय के आदेशों के पालन को आदेश जारी किये गये, परन्तु निजी आयुष काॅलेजों द्वारा उक्त आदेशों की अवहेलना कर दी गई तथा शुल्क लौटाने से मना कर दिया गया।

उच्च न्यायालय की एकल पीठ एवं खण्डपीठ के आदेशों की अवमानना के खिलाफ छात्रों  द्वारा न्यायालय में अवमानना याचिका दायर की गई जिस पर निजी कालेजों द्वारा न्यायालय को यह बताने पर कि उनके द्वारा न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दाखिल है, उच्च न्यायालय द्वारा 23 सितम्बर,  को पुनः आदेश पारित किया गया कि न्यायालय में विचाराधीन पुनर्विचार याचिका होने से न्यायालय के पूर्व में पारित आदेशों की अवहेलना नहीं की जा सकती।

बीएएमएस का पाठड्ढक्रम साढे चार वर्ष का निर्धरित है जबकि छात्रों से पूरे पांच वर्ष का शुल्क वसूला जाता है। इन निजी आयुर्वेद काॅलेजों में से अधिकांश काॅलेज मानकों पर पूरा नहीं उतरने के बावजूद इनकी सम्बद्धता जारी है। यह भी संज्ञान में आया है कि इनमें से अधिकांश आयुष काॅलेजांें ने विश्वविद्यालय को निर्धारित सम्बद्धता शुल्क भी कई वर्षों से जमा नहीं किया है।

कांग्रेस पार्टी छात्रों की शुल्क वृद्धि रोकने की न्यायोचित मांग का समर्थन करती है, तथा सरकार से मांग करती है कि उच्च न्यायालय के आदेशों का सख्ती से पालन करवाते हुए छात्रों से वसूला गया बढ़ा हुआ शुल्क उन्हें लौटाया जाय। साथ ही जिन काॅलेजों द्वारा बिना मानकों को पूरा किये तथा विश्वविद्यालय की सम्बद्धता का शुल्क जमा किये बिना काॅलेजों का संचालन किया जा रहा है उन पर कार्रवाई की जाय।

उन्होंने कहा कि यदि राज्य सरकार द्वारा आयुष छात्रों की इस समस्या का शीघ्र समाधन नहीं किया गया तो कांग्रेस पार्टी अपने अनुषांगिक संगठनों एनएसयूआई एवं युवा कांग्रेस के साथ मिलकर छात्र हितों के लिए सड़कों पर उतरकर आन्दोलन करेगी। पत्रकार वार्ता में पूर्व विधायक राजकुमार, गरिमा दसौनी, डाॅ. प्रतिमा सिंह,  मोहित उनियाल आदि उपस्थित थे।  

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