कारों ना से पीड़ित “महाराष्ट्र” में विधान परिषद के चुनाव हो सकते हैं तो उत्तराखण्ड में जिला नियोजन समिति गठन के लिए मतदान क्यो नही हो सकता..? – प्रदीप भट्ट प्रदेश अध्यक्ष
जिला योजना की धनराशि को बिना डीपीसी गठन के प्रभारी मंत्री के अनुमोदन पर जिलाधिकारी द्वारा खर्च करने को लेकर सरकार द्वारा लाये गए अध्यादेश पर जिला पंचायत सदस्य संगठन के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप भट्ट ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है
उन्होंने कहा कि सरकार की लापरवाही से राज्य में अभी तक जिला नियोजन समितियों का गठन नही हो पाया है
उन्होंने कहा कि राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा जिला नियोजन समिति के चुनाव को लेकर नामांकन, नामांकन पत्रों की जांच एवं नाम वापसी की प्रक्रिया पूरी की जा चुकी है जबकि मतदान की तिथि को दो बार आगे बढ़ाया गया है
पहले निर्वाचन आयोग द्वारा 18 मार्च 2020 को जिला नियोजन समिति के लिए मतदान की तिथि निश्चित की गयी थी जिसे 18 मार्च को राज्य सरकार के 3 वर्ष पूरे होने पर राज्य भर में राज्य सरकार द्वारा विभिन्न कार्यक्रम किये जाने प्रस्तावित थे को देखते हुए नियोजन समिति के सदस्यों के चुनाव की तिथि को 24 मार्च किया गया था
किंतु कोविड-19 के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए राज्य निर्वाचन आयोग ने मतदान की तिथि 24 मार्च को स्थगित कर अग्रिम आदेशो तक के लिए बढ़ा दी गयी थी
जिस कारण अभी तक राज्य में नियोजन समिति का गठन नही हो सका
जिला पंचायत सदस्य संगठन के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप भट्ट ने कहा कि राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा जिला नियोजन समिति के चुनाव की अधिकांश प्रक्रिया पूर्ण की जा चुकी है सिर्फ मतदान होना बाकी है लिहाजा राज्य निर्वाचन आयोग को जल्द सोशल डिस्टेंस का पालन कराते हुए मतदान की तिथि घोषित कर जल्द चुनाव सम्पन्न करा देना चाहिए
उन्होंने राज्य सरकार से पूछा है कि जब कोरोना महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित “महाराष्ट्र” जैसे राज्य में विधान परिषद के चुनाव हो सकते हैं तो उत्तराखण्ड में जिला नियोजन समिति गठन के लिए मतदान क्यो नही हो सकता..??
उन्होंने कहा कि बिना डीपीसी की सहमति के जिला योजना की धनराशि खर्च करना संविधान का उल्लंघन है
साथ ही उन्होंने सरकार द्वारा पंचायतों के खाली पदों पर प्रतिनिधियों को जिलाधिकारी द्वारा नामित किये जाने के फैसले को अलोकतांत्रिक करार दिया है।