चीन कि मछलियों से भारतीय मछुवारे संकट में

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मछुआरों का आरोप नई सरकार में जीविका उपार्जन में हो रही दिक्कत।

अंकित तिवारी, प्रयाग।
 उत्तर प्रदेश प्रयाग जिला मेजा तहसील के अंतर्गत बुंदेलखंड यमुनापार इलाके के केवट, मल्लाह, मछुआरा समूह जो करीब शहर से 30 किलोमीटर अंदर ग्रामीण इलाकों में निवास करते हैं और जिनकी आबादी करीब 20,000 के करीब  है ने सरकार की योजनाओं को लेकर नाराजगी प्रकट की है बरसंहिता गांव के रमाशंकर निषाद ने बताया गंगा के किनारे राजस्व विभाग विभाग ने लगान बढ़ा दिया है ।बताते चलें कि मछुआरों के इस इलाके में ककड़ी खीरा का उत्पादन इसी बालू वाले इलाके में होता है राजस्व विभाग द्वारा लगान बढ़ाए जाने से मछली पकड़ने का धंधा भी महंगा हो रहा है । उन्होंने कहा की मछली पकड़ने का धंधा अब लाभकारी नहीं रह गया है और इस धंधे में अपने परिवार का पेट पालन करना मुश्किल हो रहा है और सरकार का रवैया उपेक्षित है।
 मछुआरे चाहते हैं कि तालाब के लिए पट्टा वितरण में मछुआरा केवट और मल्लाह जातियों को वरीयता मिले उन्होंने आरोप लगाया कि बंगाल की खाड़ी के पास बांध  निर्मित होने के बाद से मछलियां कम तादाद में मिल रही हैं।
 बताते चलें कि पूर्व में गंगा नदी में पेपर हिलसा एडुवार   जैसी मछलियां बड़ी तादाद में मिलती  थी जिनका बाजार भाव काफी अच्छा था और मछुआरों का को अच्छी आमदनी हो जाती थी किंतु बांध निर्माण के बाद अब नदी में केवल सिलवर, कवई, साप्ति जैसी चाइनीज मछलियां ही मिल रही  हैं जो स्वाद रहित है और बेहद कम दाम में बिक रही हैं।
 मछलियों के प्रजनन काल जून-जुलाई में मछलियों का आखेट पर प्रतिबंध लगाया गया है किंतु 2 जून  को रोटी और गरीबी के चलते कुछ लोग इस सीजन में भी मछलियों को मारने का काम कर रहे हैं।
मछुवारों को  एक नाव बनाने के लिए कम से कम ₹25000 और जाल के लिए ₹2000 खर्च करने होते हैं सरकार ने कोई ऐसी योजना नहीं बनाई जिससे मछुआरों को आर्थिक स्थिति ठीक हो सके।
 इलाके के मत्स्य विभाग के निरीक्षक इमरान अली ने बताया कि मत्स्य विभाग की सभी योजनाएं राजस्व विभाग के साथ मिलकर काम करती हैं । उन्होंने कहा कि फसल बीमा सहित मछुआरों के बीमे की स्कीम भी सरकार द्वारा लांच की गई है किंतु जागरूकता के अभाव में मछुआरे बीमा नहीं कराते हैं उन्होंने बताया कि राजस्व विभाग के साथ मत्स्य विभाग की अंब्रेला योजना काम कर रही है जल्दी जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को योजनाओं के बारे में अवगत कराया जाएगा।
 हकांकि विभाग के पास कर्मचारियों का भी टोटा बना हुआ  है फिर भी अलग मंत्रालय बनने के बाद उम्मीद की जा रही है कि मछुआरों की दिक्कतों का कुछ हद तक समाधान हो सकेगा।
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