देहरादून। देहरादून के पथरिया पीर पुल के निकट बाबा जसंवत सिंह द्वार पर 1962 के चीन युद्ध के महानायक जसवंत सिंह रावत की पुण्यतिथि के अवसर पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित दी गयी। आने वाली पीढ़ियों के लिए बाबा की अमर गाथा को जीवित रखने के प्रयास में मसूरी विधायक गणेश जोशी द्वारा यह शहीद द्वार निर्मित करवाया गया।
गिरीश गैरोला
उत्तराखण्ड़ के अमर शहीद वीर योद्धा जसवंत सिंह का जन्म पौड़ी जिले के ग्राम बांडयु में हुआ। बाबा जसवंत सिंह 19 वर्ष की आयु में 19 अगस्त 1960 को गढ़वाल यूनिट की चैथी बटालिन में भर्ती हुए। 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान अरुणांचल प्रदेश के तवांग जिले में नूरांग में चैथी बटालियन की एक कम्पनी नूरानांग ब्रिज की सुरक्षा के लिए तैनात किया गया, बाबा इसी में शामिल थे। बटालिन को वापस बुला लिए जाने पर बाबा जसवंत सिंह पहले त्रिलोक और गोपाल सिंह के साथ और फिर दो स्थानीय लड़कियों की ही मदद से 300 चीनी सैनिकों से 72 घंटे तक लोहा लेते रहे।
आज भी अरूणांचल प्रदेश के नूरांग में बना बाबा के स्मारक स्थल पर उनकी सेना की वर्दी हर रोज प्रेस की जाती है, उनके जूते पालिश किए जाते हैं, उनका खाना भी रोज भेजा जाता है। सेना के रजिस्टर में उनकी डय्टी की एंट्री आज भी होती है और वह प्रमोशन भी पाते हैं। आज बाबा कैप्टन जसवंत सिंह रावत के नाम से जाने जाते हैं।
इस अवसर पर मसूरी विधायक गणेश जोशी ने बताया कि उत्तराखण्ड की धरती वीरों की जननी है। बाबा जसवंत आज भी राज्य के वीर सपूतों के लिए आदर्श हैं। विधायक जोशी ने कहा कि मैंने संकल्प लिया है कि ऐसे अमर शहीद की याद को आने वाले नस्लों तक जिंदा रखने का प्रयास करूंगा। इसी सोच के साथ पथरियापीर से प्रारम्भ होने वाले केन्ट क्षेत्र पर शहीद जसवंत सिंह रावत जी के नाम से शहीद द्वारा का निमार्ण किया गया है।
आज उनकी पुण्य तिथि के अवसर पर 12 गढ़वाल के बैण्ड के साथ यहां पर शहीद को नमन करने तथा उनकी वीरता को अवलोकित करने हेतु प्रकाशोत्सव आयोजित किया गया। इस अवसर पर 12वीं गढ़वाल राइफल्स के सुबेदार मेजर उमेश चन्द्र, शहीद की भाभी मधु रावत, अमित रावत, अवनीष कोठारी, अनुज रोहिला, गौरव डंगवाल, अभिषेक शर्मा, पार्षद सत्येन्द्र नाथ, पार्षद भूपेन्द्र कठैत, प्रदीप रावत, भावना चैधरी, ओमप्रकाश बवाड़ी आदि उपस्थित रहे।